लोन लेकर लोन ना भरने वालो के खुशखबरी?सुप्रीम कोर्ट ने सुना दिया बड़ा फैसला बैंकों को जारी किए निर्देश

Supreme Court on bank defaulter rule: आज के जमाने में अचानक से लोगों को कहीं ना कहीं से पैसों की आवश्यकता पड़ जाती है तो इसके लिए वह बैंक का दरवाजा खटखटाते हैं और लोन ले लेते हैं लेकिन किसी कारणवश लोन चुका नहीं पाते जिसके चलते बैंक उनको डिफाल्टर की लिस्ट में डाल देता है. लेकिन अब बैंक पहले की तरह कोई भी फैसला नहीं ले पाएगा क्योंकि देश की सर्वोच्च न्यायालय ने इस पूरे मामले को लेकर एक ताजा अपडेट दी है.

Supreme Court on bank defaulter rule

देश की सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court on bank defaulter rule) ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई की और इस पूरे मामले पर कहा कि किसी को भी लोन अकाउंट से फ्रॉड घोषित करने से पहले कर्ज डाटा को बैंक की तरफ से अपना पक्ष रखने का एक मौका देना चाहिए क्योंकि बैंकों ने इस कदम से संबंधित व्यक्ति के सिबिल स्कोर पर भी काफी बुरा असर पड़ता है वहीं मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई की और बताया कि बैंक डिफाल्टर को बिना अपना पक्ष रखें उसको बिना मौका दिए एक तरफ उसे फ्रॉड घोषित नहीं किया जा सकता।

Supreme Court ने की यह टिप्पणी

इन सब के अलावा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court on bank defaulter rule) का यहां तक भी कहना है कि किसी भी लोन अकाउंट को फोर्स फ्रॉड घोषित करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से पहले किसी भी प्रकार का कदम उठाने की कोई जरूरत ही नहीं है. वही हाई कोर्ट का भी कहना है कि किसी लोन अकाउंट का फ्रॉड घोषित करना संबंधित कर्जदार को ब्लैक लिस्ट करने के समान होता है सिर्फ अदालत ने इस पूरे मामले को लेकर हाई कोर्ट के फैसलों पर विचार किया है.

आखिर क्या था आरबीआई का सर्कुलर

दरअसल गुजरात हाई कोर्ट और तेलंगाना हाई कोर्ट ने रिजर्व बैंक आफ इंडिया के फ्रॉड घोषित के मुद्दे से जुड़े मास्टर सर्कुलर पर फैसला सुनाया था आरबीआई का यह मास्टर सर्कुलर बैंकों को यह आदेश भी देता है कि वह जो लोग लोन नहीं दे सकते हैं उनके लोन अकाउंट को फ्रॉड वर्गीकृत करें। यहां आपको बता दे कि आरबीआई का मास्टर सर्कुलर Frauds Classification and Reporting by Commercial Banks and Select Fls Directions 2016 है.

हाई कोर्ट का यह था फैसला

दरअसल आपको बता दे कि आरबीआई के द्वारा इस मास्टर सर्कुलर को कई अदालतों के द्वारा चुनौती दी जा चुकी थी वहीं तेलंगाना हाई कोर्ट ने एक ऐसी ही चुनौती का सामना करते हुए आदेश दिया था कि पक्ष रखने का अधिकार नहीं देना कर्जदार के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करना है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court on bank defaulter rule) भी तेलंगाना हाई कोर्ट की इस राय से पूरी तरीके से सहमत रखता है.