Happy Birthday Ratan Tata: अपनी ही कंपनी में नौकरी के लिए जब Ratan Tata को बनाना पड़ गया था Resume..

Happy Birthday Ratan Tata: अपनी ही कंपनी में नौकरी के लिए जब Ratan Tata को बनाना पड़ गया था Resume..: रतन टाटा न सिर्फ एक सफल उद्योगपति हैं, बल्कि एक ऐसी शख्सियत भी हैं, जिन्होंने टाटा ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाकर देश-दुनिया में बड़ा नाम कमाया, लेकिन फिर भी वह हमेशा जमीन से जुड़े रहे। उन्होंने समाज की भलाई के लिए काफी काम किया है. रतन टाटा आज बेशक एक सफल बिजनेसमैन के रूप में पहचाने जाते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत एक कर्मचारी के रूप में की थी। उनकी पहली नौकरी टाटा ग्रुप में नहीं थी, बल्कि उन्होंने दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली थी और उसी कंपनी में काम करते हुए उन्होंने टाटा ग्रुप में नौकरी पाने के लिए अपना बायोडाटा बनाया था। आज रतन टाटा अपना 86वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर आइए जानते हैं उनकी जिंदगी का ये मशहूर किस्सा-

IBM में पहली नौकरी

बात उन दिनों की है जब रतन टाटा पढ़ाई के लिए अमेरिका गए हुए थे। वहां उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और उसके बाद उन्होंने वहीं बसने का फैसला किया। लेकिन इसी बीच उनकी दादी लेडी नवाजबाई की तबीयत खराब होने के बाद उन्हें भारत लौटना पड़ा। भारत लौटने के बाद, रतन टाटा ने अपनी पहली नौकरी टाटा समूह में नहीं की, बल्कि आईबीएम में शामिल हो गए और उनके परिवार में किसी को भी यह खबर नहीं मिली।

JRD टाटा ने डांटा

कहा जाता है कि जब इस बात की खबर टाटा ग्रुप के तत्कालीन चेयरमैन जेआरडी टाटा को मिली तो वे बहुत नाराज हुए और उन्होंने रतन टाटा को फोन कर कहा, ‘आप भारत में रहकर आईबीएम के लिए काम नहीं कर सकते।’ इसके साथ ही उन्होंने रतन टाटा से अपना बायोडाटा भी साझा करने को कहा.

IBM में ही बायोडाटा तैयार किया

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस समय रतन टाटा के पास अपना बायोडाटा नहीं था, इसलिए उन्होंने आईबीएम ऑफिस में इलेक्ट्रिक टाइपराइटर पर टाइप करके अपना बायोडाटा तैयार किया। अपना बायोडाटा साझा करने के बाद, उन्हें वर्ष 1962 में टाटा इंडस्ट्रीज में नौकरी मिल गई। टाटा परिवार का सदस्य होने के बावजूद, नौकरी लेने के बाद रतन टाटा को अपनी कंपनी में सभी काम करने पड़े। सभी कार्यों में अनुभव प्राप्त करने के बाद वे कंपनी के शीर्ष पद पर पहुंच गये।

1991 में टाटा संस और टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने

1991 में रतन टाटा ने टाटा संस और टाटा ग्रुप के चेयरमैन का पद संभाला। उन्होंने 21 वर्षों तक टाटा समूह का नेतृत्व किया और उसे ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके नेतृत्व में टेटली टी, जगुआर लैंड रोवर और कोरस का अधिग्रहण किया गया। उनकी देखरेख में टाटा समूह ने 100 से अधिक देशों में विस्तार किया। टाटा नैनो कार भी रतन टाटा का ही कॉन्सेप्ट थी।