Atlas Cycle की शुरुवात साल 1951 में हुई थी. इस साइकिल से बचपन की भी काफी यादें जुड़ी हुई है हालांकि अब ऐसी खबर आ रही है कि एक बार फिर से एटलस को हीरो साइकिल खरीद सकता है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स आफ इंडिया के अनुसार हीरो साइकिल कई ब्रांड को खरीद रहा है और मौजूदा समय में हीरो के पास 1000 करोड़ से अधिक का केस रिजर्व है और ऐसे में अब हीरो कंपनी एटलस साइकिल पर भी अपनी नजर टिककर बैठी हुई है लेकिन अभी तक इसके बारे में कोई भी ठोस सबूत नहीं मिले हैं.
ऐसे में हीरो साइकिल के अध्यक्ष पंकज मुंजाल ने एटलस साइकिल के प्रमोटर के साथ बातचीत भी शुरू कर दी हैं वही हीरो साइकिल की भारतीय साइकिल बाजार में 43% की हिस्सेदारी है तो ऐसे में यदि एटलस को हीरो खरीद लेता है तो एटलस साइकिल एक बार फिर से लोगों के दिलों पर राज करेगी।
Atlas Cycle कैसे बंद होने की कगार पर पहुंची?
70 साल पुरानी एटलस साइकिल कंपनी के बंद होने की क्या वजह है इस पर एटलस साइकिल के सीईओ एमपी सिंह ने बीते ही दोनों एक इंटरव्यू दिया था और बताया था कि किसी भी कारोबार में ऐसा समय आ सकता है पहले आप बेहद ही आगे बढ़ते जाते हैं और बड़े स्तर पर आपका विस्तार हो जाता है आपके पास हर प्रकार का संसाधन होता है लेकिन इन सबके बावजूद भी जब ढलान शुरू होता है तो स्थितियां संभालना मुश्किल हो जाता है.
Atlas Cycle को पहले साल मिली बड़ी कामयाबी
एटलस साइकिल की की शुरुआत 1951 में जानकी दास कपूर ने की थी यह फैक्ट्री महज 12 महीने में ही 25 एकड़ के फैक्ट्री परिसर में बदल गई थी ऐसे में पहले ही साल एटलस कंपनी ने 12000 साइकिल बेच दी थी वही साल 1958 में कंपनी ने विदेश में भी अपना पहले एक्सपोर्ट किया था.
एशियन गेम में भी Atlas Cycle की सप्लाई
1978 में भारत की पहली रेसिंग साइकिल को एटलस कंपनी ने लांच किया था और 1982 में दिल्ली एशियाई गेम्स में इस साइकिल के लिए वह कंपनी आधिकारिक सप्लायर हुआ करती थी साल 2004 में कंपनी के लिए मुश्किलें शुरू हो गई थी और पिछले कई सालों से लगातार भारत में कंपनी की फैक्ट्रियां बंद हो रही थी साल 2014 में मध्य प्रदेश के मालनपुर की फैक्ट्री भी बंद हो गई थी उसके बाद साल 2017 में हरियाणा के सोनीपत की फैक्ट्री भी बंद हो गई थी ऐसे में कंपनी को काफी नुकसान हो रहा था साथ ही कंपनी का नाम भी एटलस साइकिल इंडस्ट्री से बदलकर एटलस साइकिल लिमिटेड हो गया था.
एटलस कंपनी के सीईओ ने पिछले ही दिनों बताया भी था कि नुकसान की शुरुआत तो नवंबर 2019 में होने लग गई थी जहां उत्पादन एक से डेढ़ लाख साइकिल का हो रहा था तो अब 15 से 20000 साइकिल पर ही उत्पादन आ पहुंचा है हम लंबे समय से घाटे में जा रहे हैं इस समय कंपनी पर सवा सौ करोड़ की देनदारी भी हो चुकी है जिसे हम चुकाना भी चाहते हैं हालांकि हम पर बैंक का कोई भी कर्ज नहीं है.