अजब-गजब

Paytm यूज़ करने वाले हो जाएं सतर्क! दूसरा Sahara तो नही बनने जा रहा.?

Paytm bnega Dusra sahara: डिजिटल पेमेंट कंपनी पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा पर 31 जनवरी 2023 के दिन देश की बैंकिंग रेगुलेटर भारतीय रिजर्व बैंक ने उनके ऊपर ऐसा चालू चलाया कि उनका कारोबार बंद होने पर भी आ चुका है यह कोई अचानक हुई घटना ही नहीं थी बल्कि इसकी पटकथा तो एटीएम पेमेंट बैंक की शुरुआत के साथ ही लिखी जाने शुरू कर दी गई थी ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा भी सहारा इंडिया के सुब्रत रॉय बनने जा रहे हैं?

पेटीएम कर रहा था गलतियों पर गलतियां

दरअसल चीन के अलिबाबा ग्रुप का पेटीएम में एक बड़ा इन्वेस्ट था अभी उसकी सब्सिडियरी एंटफिन नीदरलैंड के पास पेटीएम की 9% से ज्यादा की हिस्सेदारी है. अगर Paytm को अलीबाबा ग्रुप के भुगतान विकल्प ‘अली-पे’ का भारतीय संस्करण कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। 8 नवंबर 2016 को जब देश में नोटबंदी हुई तो सबसे ज्यादा फायदा पेटीएम को हुआ. अगले ही दिन विजय शेखर शर्मा ने खुद देश के सभी प्रमुख अखबारों में पूरे पेज का विज्ञापन दिया था.

पेटीएम की सफलता से प्रेरित होकर विजय शेखर शर्मा ने 2017 में ‘पेटीएम पेमेंट्स बैंक’ बनाना शुरू किया। यहीं से उनका बुरा समय शुरू हुआ। बैंकिंग क्षेत्र में सीधे प्रवेश के साथ, पेटीएम भारतीय रिजर्व बैंक के नियामक ढांचे के अंतर्गत आ गया। नियामक 2018 से लगातार पेटीएम से अपने कामकाज के तरीकों में सुधार करने के लिए कह रहा था। लेकिन न तो पेटीएम और न ही विजय शेखर शर्मा इन पर कोई ध्यान देंगे.

इसके बाद भी साल 2021 में पेटीएम को अपने ही इन्वेस्टर के दबाव में शेयर मार्केट का रूप करना पड़ गया था ऐसे में कंपनी ने देश का तब तक का सबसे बड़ा आईपीओ पेश किया गया था लेकिन इसके बाद उसका कामकाज पब्लिक स्क्रूटनी का हिस्सा बन गया था इसलिए हर कानून की अनदेखी पर अब एक नहीं बल्कि दो दो रेग्युलेटर आरबीआई और सेबी की नजर उसे पर पढ़ने लग गई.

आज 3.3 करोड़ पेटीएम वॉलेट के साथ पेटीएम देश की सबसे बड़ी पेमेंट कंपनी है। शायद यही वजह है कि उन्होंने समय रहते नियामक के निर्देशों पर ध्यान नहीं दिया, जिसका नतीजा आज पूरे कारोबार पर रोक के रूप में दिख रहा है. पेटीएम को एक नहीं बल्कि कई चेतावनियां दी गईं. इसमें लेनदेन डेटा का आईटी ऑडिट, पेटीएम और पेटीएम पेमेंट्स बैंक के बीच फंड लेनदेन, चीन से फंडिंग, डेटा में हेरफेर और केवाईसी नियमों की अनदेखी जैसे मामले शामिल हैं। अगर पेटीएम पर लगे सभी आरोप साबित हो गए तो उसके बैंक का लाइसेंस रद्द हो सकता है और ईडी की जांच भी हो सकती है.

सहारा इंडिया मामले की झलक

अब अगर पेटीएम की गलतियों का मुकाबला सहारा इंडिया के मुकाबले देखा जाए तो कई समानताएं देखी जाती है जैसे कि सहारा इंडिया को शुरू करने वाले सुब्रत रो भी एक मिडिल क्लास फैमिली से ही आया करते थे जो अपनी केयर की शुरुआत में कभी स्कूटर पर घूम कर देते हैं लेकिन इन सब के बावजूद उन्होंने रिक्शा और खेल वालों के लिए सेविंग स्कीम शुरू की थी जिसे उनकी किस्मत बदल गई थी फिर सारा इंडिया का कारोबार फाइनेंस के अलावा रियल एस्टेट से लेकर इंश्योरेंस मीडिया एंड एंटरटेनमेंट तक फैल गया था.

सहारा इंडिया का एक दौर ऐसा भी आ गया था जब इंडियन रेलवे के बाद दूसरी सबसे बड़ी एंपलॉयर यह कंपनी बन गई थी वहीं कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 12 लाख तक पहुंच गई थी ऐसे में देश की क्रिकेट टीम से लेकर हॉकी टीम तक की प्राइम स्पॉन्सर सहारा इंडिया बन गई थी सहारा इंडिया ने सब कुछ हासिल किया बिना शेयर मार्केट में लिस्ट किए हैं फिर साल 2009 आया जब सहारा इंडिया अपने रियल एस्टेट वेंचर्स सहारा प्राइम सिटी को लिस्ट करने के लिए सेबी के दरवाजे तक पहुंचा।

सहारा मार्केट पर सेबी की नजर आ गई वहीं कंपनी के पेपर्स की जांच के दौरान सेबी ने पाया कि सहारा इंडिया ने बिना नियमों का पालन किया ही करीब 3 करोड लोगों से पैसा लिया है जबकि सेबी के नियम के अनुसार तो 50 लोगों से ज्यादा पैसे जुटाना के लिए कंपनी को सेबी से अनुमति लेनी पड़ती थी इन सबके बावजूद सेबी की दो शिकायतें थी जिसमें सहारा इंडिया के कन्वर्टिबल देबेंचर्स के वैध होने और उसमें गड़बड़ी पाने की बातें कही गई थी.

ऐसे में सेवी ने सहारा इंडिया से अपने सभी इन्वेस्टर की डिटेल मांग ली इस बीच कंपनी के चेयरमैन सुब्रत रो सहारा देश भर के मीडिया चैनल पर अपनी सफाई देने लग गया था और सेबी की जांच को कटघरे में खड़ा करने लग गया था क्योंकि उनका कारोबार एक लिस्टेड कंपनी नहीं था मामला कई महीनो तक चला और नौबत आ गई थी कि सहारा इंडिया ने 127 ट्रक में 3 करोड़ इन्वेस्टर के डॉक्यूमेंट सेबी के ऑफिस में भेज दिए थे असल में तो इस शहर के सेबी को धमकाने वाले रवैया के तौर पर देखा गया था.

मामला और आगे बढ़ने लगा और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया सुप्रीम कोर्ट ने भी सेबी के पक्ष में ही फैसला सुना दिया और सहारा ग्रुप को सेबी ने 24000 करोड रुपए देने के लिए लगा दिया वही सारा ग्रुप इस हीला हवाली करने लग गया और आखिरकार देश की सर्वोच्च न्यायालय ने अवमानना के मामले में सुब्रतो रॉय की गिरफ्तारी का आदेश तक दे दिया यहां भी सुब्रत रोहिणी हाई वोल्टेज ड्रामा क्रिएट किया और फिर पुलिस को उन्हें लखनऊ से ही पकड़ना पड़ा ऐसे में रेगुलेटर और सुप्रीम कोर्ट से पंगा लेने का नतीजा यह हुआ की 2 साल तक उन्हें तिहाड़ जेल में ही रहना पड़ा।

Humlog Desk

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