
कन्हैया कुमार कहने को यह बहुत पढ़ा लिखा इंसान हैं, लेकिन देश के प्रति सम्मान की बात करें तो दुनिया का सबसे अनपढ़ व्यक्ति भी इससे ज्यादा अपने देश के प्रति सम्मान व्यक्त करता हुआ आपको नज़र आएगा.
वामपंथी छात्र और फिर उनके ही टिकट पर लड़ा गया चुनाव, जिसके बाद लोकसभा में मिली करारी हार के बाद भी कन्हैया कुमार के तेवर कम होने का नाम नहीं लिए. कन्हैया कुमार को लगता था की जब तक अरविन्द केजरीवाल सत्ता में हैं, तब तक उनके खिलाफ चार्जशीट फ़ाइल नहीं हो सकती.
ऐसा हुआ भी था उन्होंने अपने पुरे कार्यकाल के दौरान कन्हैया कुमार की फ़ाइल को कोर्ट की फटकार के बावजूद अपने मंत्रालय से बाहर नहीं जाने दिया. लेकिन जब से अरविन्द केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, तब से ही उनके तेवर बदले-बदले नज़र आ रहे हैं.
अचानक अब वह राष्ट्रवाद के मुद्दे पर झुक चुके हैं, यही कारण हैं की सालों तक जिस कन्हैया कुमार की फ़ाइल को अपने मंत्रालय में रखा. उस फ़ाइल को उन्होंने फिर आगे बड़ा दिया. जिसका मतलब साफ़ है की अब कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का मामला शुरू किया जायेगा.
लेकिन क्या इससे बात बनेगी? जब तक कन्हैया कुमार पर केस शुरू होगा फैसला आएगा सज़ा होगी तब तक कितने कन्हैया कुमार बन चुके होंगे? वो अपनी रैलियों में जा जाकर कितनो के मन में अपनी विचारधारा को भरेगा?
ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा हैं क्योंकि पटना में हुई एक रैली के दौरान कन्हैया कुमार ने एक छोटे से बच्चे के मुंह से जिसे शायद राष्ट्रवाद, देशभक्ति और देशद्रोह या राजद्रोह जैसे शब्दों में फर्क भी नहीं पता होगा उस बच्चे से नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद और आज़ादी के नारे लगवाए जा रहे थे.
उस बच्चे से कितने बच्चे प्रभावित होंगे किसे पता? शायद यही कारण हैं की जितने भी राष्ट्रवादी विचारधारा के लोग हैं, फिर चाहे वह किसी भी पार्टी में हो या फिर किसी भी पार्टी का हिस्सा न हो, उनके मुताबिक़ यह वामपंथ ही विषैला हैं. जो सीधा आपकी सोच और विचारधारा पर वार करके उसके नष्ट करने की कोशिश करता हैं.