
नागरिकता संशोधन बिल को लेकर असदुद्दीन ओवैसी पार्टी की तरफ से सैयद असीम वकार और बीजेपी की तरफ से शाहनवाज़ हुसैन को एबीपी न्यूज़ पर रुबिका लियाक़त के शो पर बुलाया गया था. बात नागरिकता संशोधन बिल को लेकर हो रही थी लेकिन सैयद असीम वकार एक बार फिर इसे 2002 दंगो की ओर ले गए.
सैयद असीम वकार ने नेशनल टीवी पर ब्यान देते हुए कहा की, “अफ़सोस पाकिस्तान के मुकाबले में आप भी कम नहीं हैं, गुजरात में भी मुसलमान बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ, सूरत में भी बलात्कार हुआ ओर मुज्जफरनगर में भी बलात्कार हुआ.”
इतना ही नहीं वो यह बातें करते हुए इतना ज्यादा जोश में आ गए की उन्होंने आगे कहा, “मैं थूकता हूँ ऐसी कंट्री पर, जहाँ पर माइनोरिटीज़ की सुरक्षा नहीं हो सकती.” बस फिर क्या था एबीपी की रुबिका लियाक़त ने सैयद असीम वकार की नेशनल टीवी पर ही क्लास लगा दी.
पलटवार करते हुए रुबिका लियाकत ने कहा की, “यह आपका दोगला रवैया मुझे पसंद नहीं आ रहा, आप हिपोक्रेट है, आपका रवैया मुझे पसंद नहीं आता हैं. एक कौन सी जात को, एक कौनसी कौम को यहां पर बुलाया जा रहा हैं? सिर्फ हिन्दुवों को बुलाया जा रहा हैं? अल्पसंख्यक आप लोगों की, कोई विशेष तौर पर बपौती है क्या यह?“
अपनी बात को जारी रखते हुए रुबिका लियाक़त ने आगे कहा की, “अल्पसंख्यक बौद्ध नहीं हैं? अल्पसंख्यक जैन नहीं हैं? अल्पसंख्यक वहां पर हिन्दू नहीं हैं क्या? बताइये मुझे वसीम वकार साहब? आपको गुजरात याद रहता हैं. जिस पार्टी के साथ आप थे, उसका 84 का दंगा आपको याद नहीं रहता? खड़े-खड़े औरतों को चीर दिया जाता हैं, वो आपको याद नहीं रहता? आपके ज़ेहन में 2002 तो बहुत घुसा हुआ हैं, 84 याद नहीं रहता? आप बताईये किसने पलायन किया, हिंदुस्तान से? यह जो आप थूकने की बात थू-थू-थू कर रहें हैं न कौन गया था यहाँ से? कौन गया धरती छोड़कर बताईये हिंदुस्तान की?”
भारत पर थूकने वाले को इस से भी कड़ा जवाब मिलना चाहिए । ओवैसी @asadowaisi देख लो, तुम्हारे कुत्ते को @RubikaLiyaquat कैसे थूक चटवा रही हैं @manakgupta @TajinderBagga @iAnkurSingh @SureshNakhua @nanditathhakur @iPuneetSharma @DrShobha #CitizenshipAmmendmentBill2019 #CABBill2019 pic.twitter.com/o9wuGbK56j
— Modi Bharosa (@ModiBharosa) December 12, 2019
जाहिर सी बात हैं इसके बाद सैयद असीम वकार की बोलती पूरी तरह से बंद हो गयी. दरअसल भारत में अल्पसंख्यकों का नाम आते ही मुसलमान नाम सबके ज़ेहन में आ जाता हैं. जबकि भारत में जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी आदि भी रहते हैं. उनकी जनसँख्या तो हिन्दुवों के मुकाबले में 1 से 2 प्रतिशत भी नहीं हैं. जहाँ पूरी दुनिया में कुल जनसँख्या से 2 प्रतिशत जनसँख्या वाले समुदाय को अल्पसंख्यक माना जाता हैं, वही भारत के संविधान में इसकी कोई परिभाषा नहीं हैं.
शायद यही कारण हैं की किसी राज्य में अगर हिन्दू अल्पसंख्यक भी हो जाये फिर भी उसे अल्पसंख्यक वाले अधिकार प्राप्त नहीं होते. वहीं अगर किसी राज्य में मुस्लिम जनसँख्या 70 प्रतिशत से पार चली जाए तो वहां से हिन्दुवों को जान बचाकर भागना पड़ता हैं. 2002 की बात करने वाले कभी यह नहीं बताते की अगर हम लोगों ने गोधरा में ‘अल्लाह हू अकबर’ करते हुए रेलगाड़ी को फूंका न होता तो उस रेलगाड़ी में जिन्दा जलने वाले बच्चे, बूढ़े, औरतों, ओर युवकों के परिवार बाद में 2002 का दंगा न भड़काते.