
झारखण्ड के विधानसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए एक और राज्य गंवाने के लिए काफी नज़र आ रहें हैं. इस वक़्त बीजेपी 29 सीट पर आगे है और कांग्रेस के साथ गठबंधन वाले दल अभी 39 सीट पर आगे हैं.
81 सीट वाली झारखण्ड विधानसभा में सरकार बनाने के लिए किसी गठबंधन या फिर पार्टी के पास कम से कम 42 सीट का आंकड़ा चाहिए होता हैं. फिलहाल नतीजों की बात करें कांग्रेस और उसके साथी दल भले ही 39 सीटों पर आगे चल रहें हैं, लेकिन अंत में कितनी सीट हासिल करेंगे यह देखना होगा.
ऐसे में एक संभावना और भी जताई जा रही हैं, अगर किसी तरह से बीजेपी 35 के आस पास सीट्स ले जाती है तो आरजेडी बीजेपी से हाथ मिला सकती हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा आरजेडी को लालू प्रसाद यादव की रिहाई के रूप में मिल सकता हैं.
अगर नहीं समझ आया तो कुछ महीने पहले हुए हरियाणा के चुनावों पर नज़र डालें हरियाणा 90 विधानसभा सीटों वाला एक राज्य हैं, सरकार बनाने के लिए कम से कम किसी पार्टी या गठबंधन के पास 46 सीट होनी चाहिए थी. बीजेपी ने इसमें जीत हासिल की थी 40 पर जिसके बाद 10 सीट पर जीत हासिल करने वाली जेजेपी के दुष्यंत चौटाला ने बीजेपी का साथ दिया.

किंग मेकर बनने के कुछ दिन बाद ही दुष्यंत सिंह चौटाला के पिता जी को पैरोल पर रिहा कर दिया गया. ऐसा ही एक मौका अब आरजेडी के तेजस्वी यादव के पास भी होगा बशर्ते आरजेडी उतनी सीट्स पर जीत हासिल कर सके जितनी सीट्स के साथ बीजेपी और उसका गठबंधन दल आरजेडी से मिलकर सरकार बना सके.
अब देखना यह काफी दिलचस्प होगा की क्या तेजस्वी यादव झारखण्ड के दुष्यंत चौटाला बन पाएंगे या फिर वो कांग्रेस के साथ ही जाना पसंद करेंगे. क्योंकि अगर सरकार बनाने के लिए जरूरी एक भी सीट कांग्रेस और उसके साथी दल के पास कम आती है तो बीजेपी इतनी आसानी से सरकार बनाने नहीं देगी.