सऊदी से लौटकर युवक ने रोया अपना दुखड़ा, बोला जानवरों वाला खाना खिलाया जाता है

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पंजाबी में कहावत है की, ‘दूर के ढोल सुहावने’. जिसका मतलब होता है, दूर से जो चीज़ आपको खूबसूरत और प्यारी लगती है, हो सकता है पास जाने पर वह आपके लिए सरदर्द, परेशानी आदि साबित हो.

यही हुआ पंजाब के फिल्लौर में रहने वाले सुरेश तिवारी के साथ, वह बहुत शौंक से घर की जरूरतों को पूरा करने के सपने के साथ सऊदी अरब में गया था. लेकिन वहां पर उसे एक गुलाम जैसा जीवन व्यतीत करना पड़ा.

लगभग 3 साल 6 महीनों के बाद भारत वापिस आये सुरेश तिवारी ने बताया है की, वहां पर उसे एक कैदी की तरह रखा गया था. रोज़ाना आपको 18 घंटे का करना पड़ता था फिर चाहे आप बीमार हो या स्वस्थ. खाना भी वो दिया जाता था जो शेख अपने जानवरो के लिए बनवाते थे.

जब बात वेतन की आती थी तो शेख काम में कोई न कोई गलती निकाल कर बुरी तरह से मार-पीट करते थे. सुरेश तिवारी ने बताया की अरब जाने से पहले वह एक फिल्लौर में ही प्राइवेट फर्म में काम करता था.

एक दिन उसकी मुलाकात एक एजेंट से हुई उसने कहा की अरब में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी है, तनख्वा भी अच्छी मिलेगी. इस तरह से सुरेश तिवारी ने बताया की उसने प्राइवेट फर्म में नौकरी छोड़ दी और अरब चला गया, वहां जाकर उसे शेख ने अपने फार्म हाउस भिजवा दिया.

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इस बात की खबर उसने अपने एजेंट को भी दी थी लेकिन एजेंट का कहना था कुछ दिनों की बात है. बाद में वो तुमको शिफ्ट कर देंगे. लेकिन फिर उसकी मुलाकात वहां काम करने वाले बाकी के लोगों से हुई, जिनमे से दो सुडान के थे और एक भारत के झारखंड का रहने वाला था.

सुरेश तिवारी ने बताया की झारखंड का लड़का इतना परेशान हो गया था की उसने खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी. शेख के पास 50 गाय और 200 बकरियां थी. इनके लिए चारा हाथ से काटना पड़ता था, सुबह चार बजे उठकर दूध निकालना पड़ता था और साफ़ सफाई का काम तो दिनभर चलता रहता था.

उन्होंने आगे कहा की, एजेंट ने बाद में उनका फ़ोन उठाना बंद कर दिया और एक दिन फिर उसने घर भेजने के लिए शेख से अपनी तनख्वा मांगी, जिसके बाद शेख इतना नाराज़ हो गया की उसने बहुत बुरी तरीके से पिटा और फिर छुट्टी देने से भी मना कर दिया.

सुरेश तिवारी ने कहा की सोशल मीडिया ने मेरी इस पुरे मामले में बहुत ज्यादा मदद की, उसने एक वीडियो बनाकर मदद की गुहार लगाई. फिर गोराया थाने के गांव ढल्लेवाल का एक युवक और एक युवक नकोदर का था जो उसकी मदद के लिए आगे आये.

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उन्होंने कहा हम फार्म हाउस के नजदीकी सड़क पर मजूद होंगे, लेकिन फार्म हाउस से दीवार फांदना और सड़क तक आना तुमको खुद करना पड़ेगा. सुरेश तिवारी ने कहा की जब मुझे मदद का भरोसा मिला तो 15 फुट ऊँची दिवार को फांदने के लिए योजना भी बन गयी और एक दिन रात के अँधेरे में, मैं दिवार फांद कर उन लड़कों की बताई लोकेशन पर पहुंचा.

लड़कों से सबसे पहले खाना खिलाया और मुझे भारतीय एम्बेसी लेकर गए, भारतीय एम्बेसी वालों ने मुझे लेबर कोर्ट भेजा. लेबर कोर्ट ने उस शेख को बुलाया मुझे 11000 रियाल लगभग 2 लाख 10 हजार रूपए दिलवाये और पासपोर्ट भी दिलवाया. इस तरह से आखिरकार मैं वापिस भारत लौट कर आया.

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