
शिवसेना हिंदूवादी पार्टी के रूप में जानी जाती थी, यह पार्टी हमेशा हिंदुत्व की राजनीती करती थी. बाला साहेब ठाकरे भले ही कभी मुख्यमंत्री न बने हो लेकिन उनका महाराष्ट्र की राजनीती में कद किसी मुख्यमंत्री से कम भी नहीं होता था.
लेकिन राजनितिक मंशा के चलते शिवसेना ने अपनी सभी सिद्धांतों की बलि चढ़ाते हुए, कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन कर लिया. इसके बाद से ही शिवसेना के बहुत सारे कार्यकर्ता शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से नाराज़ थे.
ऐसे में अब जैसे ही उद्धव ठाकरे जी का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय हो गया है. उनके कार्यकर्ताओं ने शिवसेना से अस्तीफा देना शुरू कर दिया है. कारण आपको पहले ही बताया था की शिवसेना कट्टर हिंदूवादी पार्टी मानी जाती थी और कांग्रेस एक कट्टर मुस्लिम पार्टी है ऐसे में दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ता इस वक़्त परेशान है फिर चाहे दोनों पार्टियों के प्रमुख खुश हों सत्ता हासिल करने को लेकर.
It all started for me in the year 1992, fearless leadership and charisma of Shri BalaSaheb Thackeray
At the age of 12 I had made up my mind heart and soul to work for BalaSaheb's ShivSena
Officially joined ShivSena in the year 1998— Ramesh Solanki (@Rajput_Ramesh) November 26, 2019
इसी कड़ी में सबसे पहला नाम इस वक़्त रमेश सोलंकी जी का सामने आया है, जिन्होंने शिवसेना को तब अपना त्यागपत्र दिया जब शिवसेना का अपना मुख्यमंत्री महाराष्ट्र में बनने जा रहा था. रमेश सोलंकी लिखते हैं की, “यह सब मेरे लिए वर्ष 1992 में शुरू हुआ, निर्भीक नेतृत्व और श्री बालासाहेब ठाकरे का करिश्मा था की 12 साल की उम्र में मैंने अपना दिल और आत्मा बालासाहेब की शिवसेना के लिए काम करने के लिए बना लिया था. आधिकारिक रूप से वर्ष 1998 में शिवसेना में शामिल हुआ और तब से बालासाहेब की हिंदुत्व विचारधारा के बाद विभिन्न पदों और क्षमताओं में काम कर रहा था. कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. कई चुनाव बीएमसी / विधानसभा / लोकसभा आदि में केवल एक सपने और एक उद्देश्य के साथ काम करते हुए देखे गए हैं की, हिन्दूराष्ट्र और कांग्रेस मुक्त भारत.”
and since then have been working in various posts and capacities following the Hindutva ideology of BalaSaheb
Have seen many ups and downs
Have seen n worked in many elections BMC/VidhanSabha/LokSabha etc with only one dream and one aim #HinduRashtra and #CongressMuktBharat— Ramesh Solanki (@Rajput_Ramesh) November 26, 2019
उन्होंने अपने ट्वीटर पर आगे लिखा है की, “इसको लगभग 21 साल हो गए, पद या टिकट की कभी भी मांग नहीं की, बस मेरे दिन और रात में सभी ने मेरी पार्टी के आदेश का पालन किया. शिवसेना ने एक राजनीतिक निर्णय लिया और महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के साथ हाथ मिलाया. महाराष्ट्र में सरकार बनाने और शिवसेना के मुख्यमंत्री बनने के लिए बधाई और शुभकामनाएं. लेकिन मेरी सोच और विचारधारा मुझे कांग्रेस के साथ काम करने की अनुमति नहीं देती है, मैं आधे मन से काम कर सकता हूं और यह मेरी पार्टी मेरे साथी शिवसैनिक और मेरे नेता, मेरे पद के लिए उचित नहीं होगा.”
So with a heavy heart I am making most difficult decision of my life, I am resigning from @ShivSena ?
All ShivSainiks are n will always be my brothers and sisters, its a special bonding which blossomed during this 21 years
I will always remain Balasaheb's ShivSainik at heart— Ramesh Solanki (@Rajput_Ramesh) November 26, 2019
उन्होंने अपने ब्यान को जारी रखते हुए आगे लिखा की, “इसलिए भारी मन से मैं अपने जीवन का सबसे कठिन निर्णय ले रहा हूं, मैं शिवसेना से इस्तीफा दे रहा हूं. सभी शिवसैनिक हमेशा मेरे भाई-बहन होंगे, इसकी एक विशेष बॉन्डिंग है, जो इस 21 वर्षों के दौरान बनी है, मैं बालासाहेब के शिवसैनिक हमेशा दिल से बना रहूंगा. एक कहावत है, ‘जब जहाज डूबता है तो सबसे पहले चूहे कूदकर भागते हैं’. लेकिन मैं एक जीतने वाले नोट पर जा रहा हूं. जब शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार बना रही है तो शिवसेना मजबूत स्थिति में है, मैं छोड़ रहा हूं. मैं अपनी विचारधारा और सिद्धांतों के लिए गर्वित शिवसैनिक के रूप में जा रहा हूं.”
Since last few days people are asking my stand
Let me be very loud and clear" जो मेरे श्री राम का नहीं है ( Congress )
वो मेरे किसी काम का नहीं है "I once again thank Adibhai for giving me love and respect, it was wonderful experience working with you #JaiSriRam pic.twitter.com/v9n8IssWzP
— Ramesh Solanki (@Rajput_Ramesh) November 26, 2019
आखिर में वह लिखते हैं की, “पिछले कुछ दिनों से लोग मेरा रुख पूछ रहे थे, मैं बहादुरी के साथ स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ की, जो मेरे श्री राम का नहीं है (कांग्रेस) वह मेरे किसी काम का नहीं है. मैं एक बार फिर मुझे प्यार और सम्मान देने के लिए आदिभाई को धन्यवाद देता हूं, यह आपके साथ काम करने का अद्भुत अनुभव था, जयश्रीराम.”