
जब से बीजेपी ने एनसीपी के पाले में दूसरे नंबर के नेता अजित पवार को अपने साथ खड़ा किया है, तब से ही शिवसेना के मुख्यमंत्री पद को लेकर रुख नर्म हो गया है. बताया जा रहा है शिवसेना संजय राउत की बात ‘मुख्यमंत्री शिवसेना का बनेगा’ की साख को बचाने के लिए एक नई चाल चली है.
शिवसेना जो पहले पांच साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान रहना चाहती थी. अब उसने मुख्यमंत्री पद पर अजित पवार को ढाई साल रखने की बात को मान लिया है. इसके इलावा फ्लोर टेस्ट से पहले शिवसेना ने अपने विधायकों को होटल ललित में, कांग्रेस ने जेडबल्यू मैरिअट में और एनसीपी ने रिनेसां में ठहराया है.
शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का कहना है की यह हम लोकतंत्र को बचाने के लिए कर रहें है. इसके इलावा होटलों के बाहर कड़ी सुरक्षा का इंतजाम है, फ़ोन नंबर जब्त किये हुए है, होटल में किसी दूसरे को आने-जाने की अनुमति नहीं है फिर चाहे वो विधायकों का परिवार वाला ही क्यों न हो और यह सारा काम शिवसेना के मिलिंद नार्वेकर संभाल रहें हैं.
वही अगर एनसीपी के विधायकों की बात करें तो जितेंद्र अहवद को जिम्मेदारी दी गयी है. वह सभी एनसीपी के विधायकों पर होटल रिनेसां में नज़र बनाये हुए हैं. सबसे कड़ी सुरक्षा गणेश नायक की गयी है जिन्होंने चुनाव से पहले और बाद में बीजेपी से संपर्क करने की कोशिश की थी.
कांग्रेस पार्टी के विधायकों की बात करें तो इस वक़्त अहमद पटेल ने इनकी सुरक्षा का पदभार संभाला हुआ है. जेडबल्यू मैरिअट में अहमद पटेल की मर्जी के बिना के परिंदा भी अंदर नहीं आ सकता. इसके इलावा वो लगातार दिल्ली में भी सम्पर्क बनाये हुए है.

कल सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र के फ्लोर टेस्ट को लेकर अपना फैसला सुनाएगी. जिसमे देखना यह होगा की कल अगर फ्लोर टेस्ट की इजाजत मिलती है तो क्या बीजेपी अपना बहुमत साबित कर पाएगी या फिर एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना की सरकार महाराष्ट्र बनेगी.