
जैसा की हम सब जानते हैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इस वक़्त उद्धव ठाकरे बन चुके हैं और मुख्यमंत्री बनने के लिए उनको एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करना पड़ा था. अब ताज़ा खबर यह हैं की शिवसेना ने आधिकारिक रूप से पहली बार कांग्रेस के पक्ष में केंद्र की मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की हैं.
‘एसपीजी’ सुरक्षा हटाकर गाँधी परिवार को ‘जेड प्लस’ सुरक्षा दिए जाने पर शिवसेना ने कड़े शब्दों में आलोचना की हैं. शिवसेना की पत्रिका ‘सामना’ में उन्होंने इंदिरा गाँधी को शहीद और राजीव गाँधी को ‘बलिदान’ बताते हुए लिखा की आप किसी की जान की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ न करें.
सबसे पहले आपको बता दें की उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनते ही सबसे पहले अपनी पत्रिका सामना से अस्तीफा देकर संजय राउत को उसका संपादक बना दिया था. इसलिए अब आपको कुछ भी सामना में देखने या पढ़ने को मिलेगा वो संजय राउत द्वारा ही पास करने के बाद छपा होगा.
अपनी सामना में लिखते हुए संजय राउत ने लिखा हैं की, “इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थीं, उस समय उनके सुरक्षा रक्षकों ने उनकी हत्या कर दी. खालिस्तानी आतंकवादी स्वर्ण मंदिर में घुस गए थे और स्वघोषित संत भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर से देश के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था. भिंडरावाले को पाकिस्तान और चीन का खुला समर्थन प्राप्त था. इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर में फौज घुसाकर भिंडरावाले का खात्मा किया. उसके बदले के रूप में इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. राजीव गांधी को तमिल आतंकियों ने मारा. तमिलनाडु की एक प्रचार सभा में इस उम्दा नेता की निर्मम हत्या कर दी गई इसलिए बाद में गांधी परिवार को विशेष सुरक्षा व्यवस्था दी गई. हालांकि अब गांधी परिवार को खतरा नहीं होने का कारण बताकर उनकी सुरक्षा व्यवस्था सरकार ने कम कर दी है.”

उन्होंने आगे लिखा हैं की, “कांग्रेस या गांधी परिवार से राजनीतिक विवाद या मतभेद हो सकता है. नेहरू खानदान से गत 5 वर्षों में यह बैर कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. लेकिन किसी की जान से मत खेलो और सुरक्षा व्यवस्था का मजाक मत बनाओ. ‘गांधी’ परिवार की जगह और कोई होता तो भी हम इससे कुछ अलग नहीं कहते. इंदिरा गांधी शहीद हैं ही, उसी प्रकार राजीव गांधी ने भी बलिदान दिया है.राजीव गांधी ने जब श्रीलंका से शांति समझौता किया, उसी समय उनकी जान को खतरा होने की संभावना शिवतीर्थ की एक सभा में शिवसेनाप्रमुख ने जताई थी. राजीव गांधी द्वारा किए गए शांति समझौते पर मतभेद तो था ही लेकिन उस समय उस समझौते को करने के पीछे सरकार की भी अपनी एक नीति थी. सवाल इतना ही है कि इन मामलों के परिप्रेक्ष्य में गांधी परिवार की सुरक्षा हटा ली गई और इस पर बोलनेवालों को संसद में बोलने तक नहीं दिया गया.”
सामना में आगे लिखते हुए उन्होंने कहा हैं की, “इंदिरा गांधी किसी एक पार्टी की नहीं थीं. वे राष्ट्र की थीं. ये जिसे स्वीकार है, उन्हें इस बात को गंभीरता से स्वीकार करना होगा. सच कहें तो देश में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और अन्य नेता आज भी सुरक्षा का ‘पिंजरा’ लेकर घूमते हैं. इसका मतलब ये है कि देश आज भी सुरक्षित नहीं है. सुरक्षा व्यवस्था की परवाह न करते हुए सीधे लोगों के बीच जानेवाले नेहरू, गांधी और पटेल जैसे नेता आज नहीं हैं. आज देश की सर्वोत्तम सुरक्षा व्यवस्था वाले नेताओं में हिंदुस्थान के प्रधानमंत्री मोदी का नाम ऊपरी क्रम में है. जनता भी सुरक्षित नहीं है. विरोधियों की सुरक्षा हटा ली जाती है और सत्ताधारी लोगों की सुरक्षा बढ़ा दी जाती है. जब कोई उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रभारी बन जाता है तो उसे सुरक्षा दी जाती है. जब कोई महाराष्ट्र का प्रभारी बनता है तो किसी दूसरे राज्य को जीतने के लिए नियुक्त किए जाने के कारण उसे ‘जेड प्लस’ आदि सीआरपीएफ की विशेष सुरक्षा मुहैया कराई जाती है. ये सत्ता का दुरुपयोग है. महाराष्ट्र में गत ५ सालों में ऐसे कई लोगों को सुरक्षा देकर सरकारी तिजोरी पर भार बढ़ाया गया है.”
आखिर में वह अपनी पत्रिका सामना में लिखते हैं की, “प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मंत्री और अन्य सत्ताधारी नेता सुरक्षा का ‘पिंजरा’ छोड़ने को तैयार नहीं हैं और बुलेटप्रूफ गाड़ियों का महत्व कम नहीं हुआ है. इसका मतलब गांधी परिवार की सुरक्षा को लेकर उठाया गया सवाल है. गांधी परिवार के सुरक्षा काफिले में पुरानी गाड़ियां भेजने की खबर भी चिंताजनक है. खतरे की घंटी बज रही होगी तो प्रधानमंत्री मोदी को इस पर ध्यान देना चाहिए.”

अब सोचने वाली बात यह हैं की क्या शिवसेना की यह अपनी विचार धारा थी या फिर कांग्रेस के दबाव में आकर उन्हें यह छापना पड़ा था. आपको बता दें जिस एसपीजी सुरक्षा की मांग गाँधी परिवार कर रहा हैं, उस सुरक्षा के चलते पुलिस किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकती. यही कारण हैं की बिना एसपीजी सुरक्षा के विदेश जाने वाले गाँधी परिवार को देश की आम जनता से बचने के लिए एसपीजी सुरक्षा चाहिए होती हैं.