
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और नए-नए सेक्युलर बने उद्धव ठाकरे ने सपने में भी नहीं सोचा होगा की उन्हें इतनी जल्दी अग्नि परीक्षा का सामना करना पड़ेगा. हिन्दुवों और हिंदुत्व की राजनीती करने वाली शिवसेना अब संसद में नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ अपना वोट डालेगी.
नागरिकता संशोधन बिल यह तय करेगा की भारत में अब किसी भी मुस्लिम को नागरिकता नहीं मिलेगी, इसके इलावा कोई भी धर्म का व्यक्ति मात्र 6 साल भारत में रहने के बाद नागरिकता हासिल कर सकता हैं.
शिवसेना अब क्योंकि एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने में कामयाब हुई हैं, ऐसे में उसे भी इस बिल का विरोध करके अपनी पहली अग्नि परीक्षा में खुद को साबित करना होगा की शिवसेना अब मुस्लिमों के साथ हैं.
राज्यसभा में एनडीए के कुछ साथी दल इस बिल का विरोध करेंगे फिर भी बीजेपी के पास खुद के मजबूत आंकड़े हैं. इसी के साथ कुछ साथी दल बीजेपी के पक्ष में वोट डालेंगे ऐसे में बिल पास होने में शायद ही बीजेपी को कोई रोक पाए.
बीजेपी अकेली ही राजयसभा में महज 7 सीटों से बहुमत के आंकड़े से कम हैं, लेकिन अगर बीजद (7), टीआरएस (6), वाईएसआर कांग्रेस (2) में से किसी ने भी बीजेपी का साथ दिया और कुछ पार्टियों ने सदन से वाकआउट कर दिया तो बीजेपी बहुत आराम से यह आंकड़ा पार कर लेगी.

तीन तलाक़ के मुद्दे पर भी कई पार्टियों ने सदन से वाकआउट कर दिया जिसका फायदा अंत में बीजेपी को ही मिला था और बिल पास हो गया था. आपको बता दें की असम में एनआरसी होने के बाद कई बांग्लादेशी हिन्दू, बौद्ध, ईसाई परिवार भी अपनी नागरिकता साबित करने में नाकाम रहें. ऐसे में सिर्फ यही बिल उनको भारत में रहने की इजाजत दे सकता हैं.
वहीं अगर बात करें मुस्लिम शरणार्थियों की तो बीजेपी का कहना है, धर्म के आधार पर भारत से पहले ही कई देश अलग हुए, जिनमे से आखिरी देश पाकिस्तान और फिर पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना. सब देश भारत से अलग होकर मुस्लिम देश बने ऐसे में अब अगर उनलोगों को अपना देश पसंद नहीं आ रहा तो भारत वापिस उनको अपने देश में रहने की इज्जाजत कैसे दे सकता हैं?