See the love of Shri Ram-Shabari in “Ramayana” on Doordarshan two Dalit brothers left Bhima Army: पुरे देश में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन हुआ है! देश के सभी राज्यों की सीमा और गाँवो में भी लॉक डाउन जोरशोर पर है! लेकिन वही इस दौरान 90 के दशकों के कुछ धारावाहिक सीरियल की मान उठी! जिनमे विख्यात: रामायण और महाभारत भी है! सरकार ने भी देश में लॉक डाउन को देखते हुए पुनः इन सीरियल को प्रसारित करने के लिए हरी झंडी दिखाई ही दी थी! सुचना एवं प्रशारण मंत्रालय ने एक बार फिर से इन सीरियल डीडी नेशनल और डीडी भारती पर शुरू कर दिया!
See the love of Shri Ram-Shabari in “Ramayana” on Doordarshan two Dalit brothers left Bhima Army-
जिसके चलते रामायण के अभी तक 17 एपिसोड पुरे कर लिए है! लेकिन अगले एपिसोड में शबरी व श्री राम प्रसंग चला जिसमें शबरी खुद को “नीच जात” की भीलनी कहती है! मगर क्षत्रिय कुल में जन्में भगवान श्री राम शबरी के कर्मों को उच्च मानकर भाई लक्ष्मण दोनों उनके दिए जूठे बेर फल खाते हैं! यह वह समय है जो आज के समय में उच्च-नीच के भेदभाव को खत्म करने में अहम भूमिका निभा रहे है! जिसके कारण इस प्रशंग से मोहित होकर दो भाइयों ने भीम आर्मी छोड़ दी!
इस बात की जानकारी एमपी मंदसौर जिले के विक्रम कुमार बागडे नाम के प्रसिद्ध दलित युवक ने दी! विक्रम पिछले दिनों सोशल मीडिया से लेकर मुख्यधारा के मीडिया में काफी चर्चा में रहे! दरअसल, उन्होंने जातिगत आरक्षण को समाज में विभाजन का कारण बनाकर इसे खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने भी स्वीकार कर लिया था! विक्रम ने अपने व्हाट्सएप चैट से खुलासा किया है! कि उसके दो सहयोगियों ने रामायण में शबरी और राम की घटना को देखकर भीम आर्मी छोड़ने की घोषणा की थी!
इसीलिए कुछ हरामी दलाली खाने वाले #दलित नेता #रामायण का विरोध कर रहे है।
आज मेरे दलित मित्र ने #राम_शबरी संवाद सुनकर मुझे मेसेज भेजा।
उसने भाई सहित #भीमआर्मी छोड़ दी और अब मेरे साथ समाजहित मे कार्य करेगा।
यह जीत मेरी नही मेरे राम की है।#जय_श्रीराम #TJKMKB #TuesdayThoughts pic.twitter.com/Mg8vjKWdbG— विक्रम कुमार बागड़े (@BagdeShan) April 5, 2020
दो भाइयों के संगठन छोड़ने के बाद, विक्रम ने तेज तेवरों से कहा कि कुछ “दलित नेता रामायण का विरोध कर रहे हैं! आज मेरे दलित मित्र ने राम शबरी संवाद सुनने के बाद मुझे एक संदेश भेजा! उन्होंने अपने भाई सहित भीम आर्मी को छोड़ दिया और अब मेरे साथ सामाजिक हित में काम करेंगे! यह जीत मेरी नहीं, बल्कि मेरे राम की है!”