शाहरुख़ को बचाने के लिए हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी साबित करने में जुटे, रविश कुमार

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देश के सबसे बड़े, नहीं दुनिया के सबसे बड़े, नहीं ब्रह्माण्ड के सबसे बड़े निष्पक्ष पत्रकार रविश कुमार जी ने अपनी पत्रकारिता करते हुए, दिल्ली दंगों में अपनी ऐसी भूमिका अदा की हैं की, जो काम कांग्रेस 2008 हिन्दू आतंकवाद को साबित करने में भी नहीं कर पायी थी.

लाल टी-शर्ट पहने हुआ एक व्यक्ति को पुलिस कांस्टेबल से सर पर बन्दूक तान देता हैं, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया हैं, पुलिस उसकी पहचान कर चुकी हैं, पुलिस ने उसकी पहचान दुनिया के सबसे, नहीं ब्रह्माण्ड के सबसे अशांति प्रिय समुदाय मुस्लिम धर्म के शाहरुख़ के नाम से की हैं.

अब क्योंकि इस घटना के बाद देश और दुनिया में मुस्लिमों का चेहरा एक बार फिर से बेनकाब न हो जाता, इसलिए ब्रह्माण्ड के सबसे निष्पक्ष पत्रकार रविश कुमार ने आकर टीवी पर मोर्चा संभाल लिया. इसी के साथ उन्होंने सोशल मीडिया पर शाहरुख़ से मिलती जुलती शक्ल मात्र दाढ़ी और सर के बालों के दम पर इन्होने लाल टी-शर्ट पहने उस व्यक्ति को अनुराग मिश्रा बता दिया.

रविश कुमार के इस टीवी शो के बाद आँखों से अन्धे और दिमाग से पैदल इंसानों ने सोशल मीडिया पर हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी फिर से साबित करने की भी कोशिश की, ऐसे में सवाल यह भी हैं की अगर दिल्ली पुलिस पहले शाहरुख़ को गिरफ्तार न करती और सोशल मीडिया पर फैली अफवाह के बाद उस अनुराग मिश्रा को ही गिरफ्तार कर लिया जाता?

अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार होती तो शायद सच जानने के बावजूद शाहरुख़ की जगह अनुराग को गिरफ्तार किया जाता और हिन्दू आतंकवाद का पोस्टर बॉय बना दिया जाता. हद तो तब भी हो गयी जब पथरों को पर्स बताने वाले ऑल्ट न्यूज़ के प्रतीक सिन्हा ने भी इस बात पर फैक्ट चेक नहीं लगाया.

लेकिन यह घटना और घटना होने के तुरंत बाद अनुराग मिश्रा का नाम आगे करना. साफ़ जाहिर हैं की, कांग्रेस और उसके ब्रह्माण्ड के सबसे निष्पक्ष पत्रकार पहले से ही इस स्क्रिप्ट लेकर त्यार बैठे थे. बस इंतजार था तो ट्रम्प के भारत आने का और पूरी दुनिया के सामने हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी साबित करने का.

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