
उद्धव ठाकरे एक ऐसे मुख्यमंत्री जिन्होंने इस पद को हासिल करने के लिए, अपनी पार्टी के सिद्धांतों, अपने पिता के सपनों और हिंदुत्व की राजनीति को त्यागते हुए खुद से विपरीत विचारधारा के पार्टियों से हाथ मिल लिया.
इसी कड़ी में महाराष्ट्र में जमकर राजनीतिक उथल पुथल देखने को भी लेकिन क्या उद्धव ठाकरे को अपने चचेरे भाई राज़ ठाकरे का इन सबमे में साथ मिला? आपको बता दें आज से कुछ साल पहले ही राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर ‘महाराष्ट्र नवनिर्मण सेना’ नाम की पार्टी बना ली थी.
इस पार्टी का मात्र एक ही विधायक पुरे महाराष्ट्र में जीत हासिल कर सका, यह जीत राज ठाकरे की पार्टी से लड़ रहे विधायक प्रमोद पाटिल ने हासिल की थी. प्रमोद पाटिल ने शिवसेना के रमेश म्हात्रे को 3,000 मतों से हराकर कल्याण ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र पर अपनी पार्टी का परचम लहराया था.
विधान सभा में जब फ्लोर टेस्ट शुरू होने वाला था तो बीजेपी की मांग थी फ्लोर टेस्ट को गुप्त तरीके से करवाया जाये. वही स्पीकर ने इस मांग को ठुकरा दिया और बीजेपी के 105 विधायकों ने विधानसभा से वॉक-आउट कर दिया.
इसी के चलते हमें पता चल सका ही राज ठाकरे के विधायक ने किसी भी पार्टी के पक्ष में अपना वोट नहीं डाला. राज ठाकरे के इलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के दो विधायकों और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के एक विधायक ने भी किसी भी पार्टी के पक्ष में वोट नहीं डाला.

इस तरह से शिवसेना को कांग्रेस और एनसीपी और अपने विधायकों को मिलाकर कुल 169 वोट हासिल हुए. 288 सीट वाली महाराष्ट्र की विधान सभा में सरकार बनाने के लिए 145 सीट्स चाहिए होती है. इधर शिव सेना का दावा है की महाराष्ट्र में अगर सरकार चलती है तो हम पुरे देश में बीजेपी के खिलाफ एक मोर्चा खोलने की कोशिश करेंगे.