
पूर्व आईबी चीफ एवं मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक और उनके सिपहसालारों की एक बैठक बुलाई, उस बैठक में बताया गया की दिल्ली से बाहर के कुछ लोग यहाँ पर हुड़दंग मचा सकते हैं, प्रदर्शनकारियों की भीड़ में शामिल होकर यह लोग दंगा करके वापिस अपने-अपने राज्यों में लौट जायेंगे जिसके बाद इनको पकड़ना और ढूंढ़ना मुश्किल होगा.
अजित डोभाल ने बताया की हमें सूचना मिली है की हरियाणा के मेवात इलाके से सैकड़ों लोगों को कोई न कोई लालच देकर दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए लाया जा रहा हैं. इस भीड़ को सीधे तौर पर दो टास्क दिए गए थे जिसमे से पहला टास्क था की गुरुवार को कुछ इलाकों में हिंसा करनी हैं और उसके बाद शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद करीब 14 इलाकों में बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्ति को पूरी तरह से तहस-नहस करना हैं.
अब क्योंकि गुरूवार और प्रदर्शन करने के बीच में केवल आठ से दस घंटे ही बचे थे, इसलिए उन्होंने पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक, विशेष आयुक्त कानून व्यवस्था, संयुक्त आयुक्त और छह जिलों के डीसीपी की बैठक बुलाई. इस बैठक में उन्होंने साफ़ किया की हमें सूचना मिली हैं की, राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार और शुक्रवार को बड़े पैमाने पर दंगा एवं आगजनी की साजिश रची गयी हैं.
अब क्योंकि इतनी भीड़ एक साथ ट्रक में नहीं आ सकती थी इसलिए जाहिर हैं वो बसों टेम्पो, मैट्रो और रेलगाड़ियों के जरिये दिल्ली पहुँचती. सबसे पहले दिल्ली में इंटरनेट सेवा बंद की गयी, उसके बाद दिल्ली में दाखिल होने वाले सभी वाहनों को तलाशी शुरू की गयी, मेट्रो स्टेशन बंद किये गए, रेलगाड़ियों में चढ़ी सवारियों की तलाशी की गयी. नतीजा यह रहा की गुरुवार के बाद शुक्रवार भी छोटी-मोटी झड़प तो हुई लेकिन पूरी दिल्ली दंगे की चपेट में आने से बच गयी.

हालाँकि इस त्यारी के बावजूद दिल्ली पुलिस के करीब 12 हजार जवानों को प्रदर्शनकारियों से दो-दो हाथ करने के लिए त्यार बैठे थे. इसके इलावा लगभग छह हजार पुलिसकर्मियों को रिजर्व में रखा हुआ था. इसके अतिरिक्त क्राइम ब्रांच और आर्थिक अपराध शाखा के जवानों को भी प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए त्यार रखा हुआ था.