
नागरिकता संशोधन कानून भारत का कानून हैं, भारत की लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद इस बिल पर राष्ट्रपति जी ने अपने हस्त्ताक्षर करके इसे कानून का अंतिम रूप दिया हैं. पर क्या आप जानते हैं, जिस कानून को लेकर विपक्ष भारत के अल्पसंख्यकों में डर का माहौल बना रहा हैं, उस भारत में कुछ विदेशी भी इस बिल का विरोध कर रहें हैं.
वैसे तो इस बिल का भारत के किसी भी नागरिक का कोई लेना देना नहीं हैं, फिर भी वो पैसों के लालच के चलते इसका विरोध जता रहें हैं, खैर लेकिन इस कानून के विरोध में 5 विदेशी नागरिक भी ऐसे पकडे गए हैं, जो इस बिल का विरोध कर रहे थे, ऐसे विदेशी नागरिको को अब भारत की सरकार ने बाहर का रास्ता दिखा दिया हैं.
ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने इसे वीजा नियमों का उल्लंघन माना और उन विदेशी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश दे दिया हैं. लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने लिखित तौर पर बताया हैं की, “ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के मुताबिक, पांच विदेशी नागरिक सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल हुए. यह वीजा नियमों का उल्लंघन है. इन्हें भारत छोड़ने के लिए कहा गया है.”
यह कानून वैसे तो भारत का आंतरिक मामला हैं फिर भी विपक्ष इस बिल को लेकर अंतराष्ट्रीय लेवल तक ले गया और अब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने सीएए पर सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर कर दी हैं. इसको लेकर जिनेवा में भारत के स्थाई दूतावास ने भारत की सरकार को इसकी जानकारी दी हैं.
MoS Home Nityanand Rai in a written reply in Lok Sabha:
As per Bureau of Immigration, 5 foreign nationals who violated visa norms by participating in the anti-CAA protests were asked to leave India.— ANI (@ANI) March 3, 2020
इसको लेकर भारत सरकार की तरफ से साफ़ और कड़े शब्दों में कह दिया गया हैं की, “सीएए भारत का आंतरिक मामला है और यह कानून बनाने वाली भारतीय संसद के संप्रभुता के अधिकार से संबंधित है.” भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रविश कुमार का कहना हैं की, “जिनेवा में हमारे स्थायी दूतावास को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख (मिशेल बैश्लेट) ने सूचित किया कि उनके कार्यालय ने सीएए, 2019 के संबंध में भारत के सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की है.”
उन्होंने आगे कहा की, “हमारा स्पष्ट रूप से यह मानना है कि भारत की संप्रभुता से जुड़े मुद्दों पर किसी विदेशी पक्ष का कोई अधिकार नहीं बनता है. सीएए संवैधानिक रूप से वैध है और संवैधानिक मूल्यों का अनुपालन करता है.”