
दिल्ली की तिहाड़ जेल संख्या-3 में निर्भया काण्ड के सभी दोषियों को फांसी पर लटकाया जाएगा. यह भारत में पहली बार होगा जब बलात्कार के मामले में किसी अपराधी को फांसी पर लटकाया जाएगा.
जेल प्रशाषन का कहना है की 2013 में हुई अफ़ज़ल गुरु की फांसी के बाद से ही यह फांसी घर बंद था. अब लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारी लगातार अपनी नज़र यहां बनाये हुए हैं और यहां सफाई का काम शुरू कर दिया गया हैं.
आपको बता दें की यह पूरा फांसी घर जमीन से 12 फीट ऊपर चारदीवारी से घिरा हुआ है और इसका अकार एक कुएं बराबर ढांचा का होता हैं. इसके ऊपर पक्की छत और छत के निचे लगभग 12-12 फ़ीट के दो लकड़ी के तख़्त लगे होते हैं.
बताया जाता हैं की छत के दोनों और लोहे के दो बड़े बड़े खंबे होते हैं, जो लोहे की ही एक पाइप से जुड़े होते हैं. इसी लोहे की पाइप पर ही फांसी का फंदा लगाया जाता है और जैसे ही पास मजूद जल्लाद एक लिवर को खींचता है तो दोनों लकड़ी के तख़्त अलग हो जाते हैं, जिससे आरोपी फांसी के फंदे पर झूल जाता हैं.

लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने यहां मजूद पुरे ढाँचे की साफ़ सफाई और दुरस्त करने का काम कर रहें हैं. जिसके बाद कोर्ट से दया याचिका खारिज होते ही उन्हें फांसी पर लटका दिया जाएगा.
फांसी देने की विद्धि:-
सबसे पहले आरोपी को सुबह 5 बजे उठाकर नहाने को कहा जाता हैं.
उसके बाद आरोपी को खाने के लिए जेल की रूटीन के हिसाब से ही दिया जाता हैं.
मजिस्ट्रेट दोषी से उसकी आखिरी इच्छा जानने के लिए आता हैं.
उसके बाद जेल के अधिकारी उसे फांसी घर लाते हैं, जहां जल्लाद आरोपी के हाथ-पैर बांधकर आरोपी के मुंह पर काला कपडा डाल दिया जाता हैं.
जिसके बाद डॉक्टर, मजिस्ट्रेट और जेल अधिकारी की मजूदगी में जल्लाद लिवर खींचते हुए आरोपी को फांसी दे देता हैं.
अंत में डॉक्टर आरोपी का पोस्टमार्टम करते हुए उसे मृत घोसित कर देता हैं.