मध्य्प्रदेश में कमलनाथ सरकार के दिन पूरे, 11 MLA पार्टी छोड़ फरार

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मध्यप्रदेश ऐसा राज्य हैं, जिसमे कांग्रेस की सरकार तो हैं लेकिन कांग्रेस के नेता एक दूसरे के लिए विपक्ष से कम भी नहीं हैं. कांग्रेस के पास मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के लिए, लगभग पूरी-पूरी सीट्स ही हैं, ऐसे में कोई नेता पार्टी से नाराज़ होता हैं तो मीडिया इस घटना को कर्णाटक की राजनितिक उथल-पुथल से जोड़ना शुरू कर देती हैं.

इस बात का अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं की, कांग्रेस ने बीएसपी के दो विधायकों को गुरुग्राम के एक होटल में बंदी बना दिए हैं और इसके पीछे वजह बीजेपी को बताया जा रहा हैं. कांग्रेस ने इसको लेकर बातचीत करते हुए कहा है की, “बीजेपी एमपी में कमलनाथ सरकार गिराने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त करना चाहती है.”

वही बीजेपी के नेताओं का कहना हैं की यह सब एक ड्रामा हैं, जिसमे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस की आलाकमान के सामने पार्टी बचाने का नाटक करेंगे और बदले में आलाकमान उन्हें राज्यसभा भेज देंगे. एक तरफ कमलनाथ ने मीडिया में बयान दिया हैं की, “चिंता की कोई बात नहीं.” वहीं दूसरी और दिग्विजय सिंह का कहना है की, “यहां कोई खतरा नहीं है. हम सब एकजुट हैं.”

लेकिन मध्यप्रदेश की बात हो और राहुल गाँधी के सबसे अच्छे मित्र माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता हैं. बीजेपी के साथ उनके रिश्ते दिन प्रतिदिन अच्छे हो रहे हैं, शायद यही कारण हैं की उन्होंने बीजेपी द्वारा नेताओं की ख़रीद फ़रोख़्त को लेकर साफ़-साफ़ कहा की, “उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है और न ही इसे लेकर तथ्य सामने आए हैं.”

पिछले कुछ दिनों में अपने ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच विपक्ष और पक्ष के समान जमकर बयानबाज़ी सुनी होगी, इसी को लेकर अब यह अटकलें लगाई जा रही हैं की अप्रैल में ख़त्म होने वाले दिग्विजय सिंह, सत्यनारायण जटिया और प्रभात झा का राज्यसभा में कार्यकाल के बाद कांग्रेस मध्यप्रदेश म गुटबाज़ी को ख़त्म करने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह दोनों को राज्यसभा में भेज सकती हैं.

पहले भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक चाहते थे की प्रदेशाध्यक्ष की कमान सिंधिया को मिले लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इसे भी नकार दिया. उधर दिग्विजय सिंह चाहते हैं की राज्यसभा में उनका वर्चस्व कायम रहे और कोई नया नेता सीधा उनकी बराबरी पर आकर न बैठे. ऐसे में मध्यप्रदेश की सरकार विपक्ष (बीजेपी) की वजह से नहीं आपसी गुटबाज़ी की वजह से मुसीबत का कारण बनी हुई हैं.

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