
मोबाइल टावर, लोग इस बात को तो समझते हैं की इससे रेडिऐक्शन निकलती हैं, लेकिन इस बात को नहीं समझते की यह रेडिएशन हमारे शरीर के लिए किस दूरी पर नुक्सान दायक होती हैं. वत्स अप्प और फेसबुक पर बैठे ज्ञानियों की बातों में आकर लोग 2000 के नोट में भी ट्रैकिंग डिवाइस लगा देते थे.
खैर अगर स्टडी की बात करें तो ओवन, मोबाइल, रेडियो, एक्स-रे आदि में भी या रेडिऐक्शन पाई जाती है. लेकिन यह रेडिऐक्शन आसान भाषा में कहें तो बहुत ही कम मात्रा में होती हैं. अब बात करते हैं, मोबाइल टावर से निकलने वाली रेडिऐक्शन की, तो आपको जानकार हैरानी होगी यह भी बहुत कम मात्रा में होती हैं.
दरअसल आपका मोबाइल रेडिऐक्शन तब निकालता है जब उसे सिग्नल्स लेने हों, अगर सिग्नल आपके मोबाइल में नार्मल आ रहें हैं तो कम रेडिऐक्शन निकालता है और अगर सिग्नल कम आ रहें हो तो सिग्नल्स से कांटेक्ट बनाये रखने के लिए उसे ज्यादा रेडिऐक्शन निकालनी पड़ती हैं.
इस बात का ध्यान रखें की एक टावर लगातर उतनी ही रेडिऐक्शन निकलता है, जितनी उसमे कानूनी नयमों के आधार पर सेट की जाती है वो अपनी रेडिऐक्शन को कम या फिर ज्यादा नहीं करता. लेकिन आपका मोबाइल नेटवर्क में कनेक्टिविटी बनाये रखने के लिए रेडिऐक्शन को कम-ज्यादा करता हैं. अब कानून बन चूका है तो इस पर कंपनियों ने एक लिमिट सेट कर दी है की अब मोबाइल भी मैक्सिमम उतना ही रेडिएशन निकाल सकेगा, जितना आपके स्वास्थ को हानि न पहुंचाएं.
जिसका मतलब यह है, टावर आपसे जितना दूर होगा आपका मोबाइल उतनी ज्यादा रेडिऐक्शन निकालेगा. इसके ऊपर कई एक्सपेरिमेंट्स हुए, जहां चलते हुए टावर में कुछ पंछियों का पिंजरा बनाकर रखा गया एक महीने बाद सब ठीक थे, इसके इलावा और भी जितनी भी तरह ही अफवाहे वत्स अप्प और फेसबुक ज्ञानियों द्वारा फैलाई थी सब पर एक्सपेरिमेंट्स करने के बाद पता चला की टावर जितना दूर होगा आपसे उतने ही खराब प्रभाव आपकी सेहत पर पड़ेगा आपके मोबाइल द्वारा.
इसी बात पर अब दिल्ली की हाई कोर्ट ने भी मोहर लगा दी हैं. उन्होंने कहा है की वैज्ञानिकों के पास ऐसा कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, जिससे यह साबित हो की मोबाइल टावर से निकलने वाला रेडिएशन आपके स्वस्थ के लिए हानिकारक हैं.
आपको बता दें की उत्तर दिल्ली के गोपाल नगर में एक मोबाइल टावर लगाए जाने पर गोपाल नगर आवासीय कल्याण असोसिएशन ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसे खारिज करते हुए जस्टिस जयंत नाथ ने हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाया.