
आपको याद होगा की मोदी सरकार ने आरक्षण में बदलाव करते हुए 10 फीसदी आरक्षण गरीब वर्ग के लोगों के लिए बनाया था, उस वक़्त असदुद्दीन ओवैसी गला फाड़ कर संसद में चिलाय था की यह आरक्षण संविधान के खिलाफ हैं.
इस आरक्षण को ख़त्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी अपनी बेइज्जती करवानी पड़ी थी, खैर अब बात करते है ब्रह्माण्ड के सबसे शांति प्रिय समाज की तो महाराष्ट्र में अब इस शांतिप्रिय समाज को आरक्षण देने के विचार पर लगभग मोहर लग चुकी हैं.
महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण को लेकर मांग बहुत ज्यादा पुरानी थी, लेकिन शिवसेना के विरोध के सामने ओर सत्ता में न होने के चलते कभी मुस्लिम आरक्षण की मांग को पूरा नहीं किया गया.
फिलहाल महाराष्ट्र में खिचड़ी की सरकार चल रही हैं, सभी विधायकों को खुश रखने की जिम्मेदारी अब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे उद्धव ठाकरे की है. राजनीती में किसी को खुश करने का मतलब है, अपनी विचारधारा के उल्ट कोई काम करना.
ऐसे में जिस आरक्षण के खिलाफ उद्धव ठाकरे सालों से अड़े रहे, आज मुख्यमंत्री की कुर्सी के लालच में उसी आरक्षण के लिए रास्ता साफ़ कर दिया हैं. इसी को लेकर नवाब मलिक ने बयान दिया हैं की, “मुस्लिम वर्ग के लिए शिक्षा में आरक्षण पर हाइकोर्ट ने अपनी सहमति दी है, जिसे देखते हुए महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार बहुत जल्द ही एक नया कानून बनाकर मुस्लिम आरक्षण को लागू करने के लिए पूरा प्रयास कर रही है. इसके बाद हम नौकरी और निजी स्कूलों में आरक्षण देने पर भी विचार कर रहे हैं.”
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना हैं की, “भाजपा धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध करेगी. जो नियम संविधान के विरुद्ध हो उसका विरोध जरूर करना चाहिये. हम इस आरक्षण का इसलिये विरोध कर रहे हैं क्योंकि ये धर्म के आधार पर किया जा रहा है. हम ऐसी किसी भी बात का समर्थन नहीं करेंगे जो हमारे संविधान के विरुद्ध हो.”