अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कथावाचकओ की व्यासपीठ से मौला और अली जैसे संबोधन किए जाने को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है! अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का कहना है कि सनातन धर्म में व्यासपीठ को पूजनीय माना गया है! उनका कहना है कि अनादि काल से सुकदेव जी के नाम से व्यास पीठ की स्थापना हुई है! उन्होंने यह भी कहा है कि कथा के मंचों से अल्लाह और मोला का नाम नहीं ले जाने की परंपरा हमेशा रही है इसलिए जो कथावाचक ऐसा करते हैं वह सरासर गलत कर रहे हैं!
सनातन धर्म जो कि सबसे पुराना धर्म है इसकी परंपरा में सभी धर्मों का आदर किया जाता है लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि व्यास मंचों से कुरान और शराब का महिमामंडन किया जाए! उन्होंने कहा है कि जिन कथावाचक को मौला अली कहना है वह ब्याज की गद्दी को तत्काल छोड़ दे! बताया है कि कथावाचक कोई संत नहीं होते इसलिए उनको संत कह कर समाज को भ्रमित ना करें!
महंत नरेंद्र गिरी का कहना है कि अखाड़ा परिषद व्यासपीठ ऐसे किसी भी आचरण का पुरजोर विरोध करेगा! यहां तक कि उन्होंने कहा है कि व्यासपीठ से कथा वाचन के दौरान फिल्मों के गीतों की धुनों पर नृत्य करना और शेरो शायरी करना भी गलत है! ऐसे करने से सनातन धर्म को हानि हो रही है इसलिए अखाड़ा परिषद ऐसे कृतियों का विरोध करेगा!