Vat Savitri Vrat 2020: प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत एवं पूजन किया जाता है! यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है! जो स्त्री सच्ची निष्ठा से इस व्रत का पालन करती है उसे ना सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि उसके पति पराई सभी परेशानियां भी दूर हो जाती है! हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राण को यमराज से छुड़ाकर निकाली थी! जिसके कारण यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है! इस दिन महिलाएं बरगद के वृक्ष का विधिवत पूजन कर 11, 21 एवं 108 परिक्रमा करते हुए भगवान विष्णु एवं यमदेव को समर्पित यह पूजन अपने सौभाग्य को अखंड और अक्षुण्य बनाए रखने की कामना से करती है!
वट सावित्री व्रत की तिथि और मुहूर्त | Vat Savitri Vrat 2020 Tithi and Muhurat
वट सावित्री व्रत की तिथि अमावस्या तिथि है! जेष्ठ अमावस्या तिथि का प्रारंभ 9:35 PM 21 मई से लेकर अगले दिन 11:08 PM 22 मई तक है! ज्योतिषगणना के अनुसार उत्तम योग बना हुआ है! ज्योतिष के अनुसार, यह पर्व 22 मई दिन शुक्रवार को कृतिका नक्षत्र और शोभन योग में पड़ रहा है!
इस मंत्र का करें उपयोग सावित्री व्रत की पूजा में | Vat Savitri Vrat 2020 Use this mantra
जैसे कि इस वर्ष में माननीय है कि बरगद की परिक्रमा की जाती है! नीचे दिए गए मंत्र को पढ़ते हुए परिक्रमा करना श्रेयस्कर होता है- “यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सर्वानि वीनश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।”
वैवाहिक लोगों के लिए महत्व | Importance of Vat Savitri Vrat for married people
यह व्रत वैवाहिक लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है खासतौर से स्त्रियों के लिए! यह माना जाता है कि माता सावित्री अपने पति के प्राण को यमराज से छुड़ाकर लेकर आई थी! जिसके चलते यह व्रत बनाया जाता है! यह व्रत स्त्रियां रखती है! ताकि उनके पति पर कोई भी आपत्ति ना सके! जो स्त्री इस व्रत को सच्चे मन से करती है उसके पति के जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती है! यह इस व्रत की मान्यता है! जिसके चलते भारत में काफी बड़ी मात्रा में स्त्रियां अपने पति के लिए यह व्रत करती है!