
आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल चुनाव जीतने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपना नर्म रुख अपना रहें हैं. इस नर्म रुख के पीछे कई वजहों को माना जा रहा हैं, लेकिन उनका यह नर्म रुख कुछ लोगों को हज़म नहीं हो रहा.
अगर वजहों की बात करें तो इस बार दिल्ली चुनाव जीतने के लिए अरविन्द केजरीवाल को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा और उनके चुनाव अभियान में किसी भी राजनितिक दल ने अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी.
जबकि दूर-दराज़ किसी राज्य में चुनाव होते थे तो अरविन्द केजरीवाल वहां पर बीजेपी के विरोध में खड़ी पार्टी को जिताने के लिए प्रचार अभियान का हिस्सा बन जाते थे. शाहीन बाग़ के लिए शुरूआती समर्थन करना भी आम आदमी पार्टी के लिए गल्ले की हड्डी बन गया था.
उसके बाद खैर कैसे तैसे आम आदमी पार्टी चुनाव जीत गयी, लेकिन पार्टी के प्रमुख केजरीवाल जी ने चुनाव जीतने के बाद से ही नरेंद्र मोदी जी के लिए अपने तेवर नर्म कर दिए. जैसे की उन्होंने जीतने के बाद शपथ समारोह में भी केंद्र के साथ मिलकर काम करने की बात की और फिर नरेंद्र मोदी जी का शपथ समारोह में शामिल न होने पर भी उन्होंने खुद ही इसपर सफाई भी दे दी.
इसके बाद अपने शपथ समारोह में उन्होंने किसी भी गैर राज्य के मुख्यमंत्री को नहीं बुलाया, ऐसे में यह दर्शाता है की आमा आदमी पार्टी अब अपनी राजनीती में पकड़ मजबूत करने के लिए बीजेपी की तरह अपनी विचारधारा को सामने रखने वाली हैं, क्योंकि जहाँ सब पार्टियां मुस्लिम वोट हासिल करने और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने के सपने देख रही हैं.
ऐसे में वह बड़ी पार्टियां आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं को कभी आगे नहीं आने देगी. लेकिन क्या हो अगर बीजेपी जैसे ही एक और राष्ट्रवादी पार्टी का उदय हो जाये? खैर अभी अरविन्द केजरीवाल करना क्या चाह रहे हैं यह कहना मुश्किल हैं.

ऐसे में आम आदमी पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओ को अरविन्द केजरीवाल का यह प्लान समझ नहीं आ रहा और वो अपने पुराने अंदाज़ में अब भी सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला कर रहे हैं. ऐसे में सुधीर यादव ने अपने ट्विटर पर लिखा है की, “अगर ट्रम्प बोल दे की भाभी जी से मिलना हैं, तो चच्चा किससे मिलवायेंगे, ज़रा बताओ तो ढक्क्नों” इस ट्वीट के आते ही लोगों ने सीधे तौर पर बुरा भला कहना शुरू कर दिया और कुछ देर बाद ही ट्वीट डिलीट कर दिया गया.
अब यह डिलीट उन्होंने गालियां खाने की वजह से किया या फिर आम आदमी पार्टी के उच्च पद पर बैठे नेताओं के दबाव में किया गया, खैर इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं हैं. लेकिन यह तो साफ़ हैं की आम आदमी पार्टी अब नरेंद्र मोदी को लेकर सीधा हमलावर नहीं होना चाहती.