
आपको याद होगा की कैसे पिछले साल उत्तर प्रदेश में कट्टर हिंदूवादी कमलेश तिवारी की हत्या कुछ मुसलमानों ने हिन्दुवों के भेष में कर दी थी. उन्होंने इस हत्या को अंजाम देने के लिए 1.5 साल से ज्यादा जानकारी जुटाने और प्लान बनाने में लगाया था.
अब उसी तर्ज़ पर कपिल मिश्रा जो की दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी का एक नेता हैं, उसे देश में ही रह रहे डरे हुए मुसलमान खुले तौर पर धमकियाँ दे रहे हैं. आपको बता दें की वामपंथी मीडिया दिल्ली में हुए दंगों का पूरा इल्जाम कपिल मिश्रा पर लगाने का प्रयास कर रही हैं.
कपिल मिश्रा का यह बयान की “रास्ता खाली करो” को दुनिया का सबसे हिंसक बयान बताने की कोशिश है. ऐसे में सवाल यह हैं की क्या देश के आम नागरिकों का मौलिक अधिकार नहीं हैं की, उन्हें रास्ते खाली मिलें? जिस प्रकार से आज देश की संसद में बने कानून को मानने से मना किया जा रहा हैं, जिस तरह देश में आतंक फैलाया जा रहा हैं, कल को यही लोग इस्लामिक देश घोसित करवाने के लिए सड़कों पर नहीं उतरेंगे?
एक पूरी तरह से सुनयोजित दंगे को जिसमे हजारों की तादार में तेज़ाब के पैकेट बनाना, पेट्रोल बम बनाना, चलती-फिरती बाहुबली स्टाइल में दूर तक मार सकने वाले हथयार बनाना, सैंकड़ों टन मलबा इकठा करके घरों और मस्जिदों की छतों पर रखना. क्या यह सारा काम मात्र एक-दो दिन में हुआ?
लगातार फोन पर, व्हाट्सप्प पर, ईमेल पर मुझे हत्या की धमकियां दी जा रही हैं
देश से और विदेशों से सैकड़ो धमकियाँ लगातार दी जा रही हैं
I don't fear this hate campaign against me.
? pic.twitter.com/HOoicynLe5— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) March 1, 2020
यह एक सुनयोजित दंगा था, जिसमे यह पूरी कोशिश की गयी थी की अमेरिका के राष्ट्रपति के सामने भारत की छवि को धूमिल किया जा सके. जब यह सब सफल नहीं हुआ तो पूरा दंगा कपिल मिश्रा के बयान के आस-पास समेटने की कोशिश की गयी, जिसके बाद से ही देश का डरा हुआ मुसलमान उन्हें जान से मरने की धमकी दे रहा हैं. यही अगर सिम को आधार से लिंक करने की बात सुप्रीम कोर्ट मान लेता तो आज बिना कोई समाय गवाए यह धमकी देने वाले डरे हुए मुसलमान पकडे जाते पर वहां भी कांग्रेस वकीलों के तर्कहीन बयानों के सामने सुप्रीम कोर्ट ने आधार से सिम लिंक करने से मना कर दिया.