
भौतिक विज्ञान में मास्टर करने के लिए जर्मन का एक छात्र IIT मद्रास में पढ़ने भारत आया हुआ था. पढ़ाई का तो पता नहीं लेकिन वह देश की सरकार द्वारा बनाये कानून CAA का विरोध करने और भविष्य में लागू होने वाली NRC का विरोध करने के लिए सड़कों पर प्रदर्शन करता हुआ पाया गया.
यह प्रदर्शन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर के तले हो रहा था, ऐसे में भारतीय सरकार की अथॉरिटी ने उसे वीज़ा नियमों के उल्लंघन के मामले में देश से निकल जाने को कह दिया. बताया जा रहा है की यह छात्र एक साल के लिए एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत आईआईटी मद्रास में पढ़ने के लिए भारत आया हुआ था.
इस जर्मन लड़के का नाम जैकब बताया जा रहा हैं, मीडिया से बातचीत करते हुए जैकब ने बताया की, “उसे चेन्नई फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस से दोपहर के आसपास कॉल आया था और उन्होंने मुझे मौखिक रूप से वापस जाने को कहा है.”
आपको बता दें की यह केवल विरोध प्रदर्शन ही नहीं कर रहा था बल्कि अपने हाथ में यह “1933 से 1945 वी हैव देयर” (इस पोस्टर के द्वारा जर्मनी के नाजी शासन का संदर्भ दे रहे थे) लिखा हुआ एक प्लेकार्ड से मीडिया का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रहा था.
जैकब ने कहा की, “जब मैं सोमवार (23 दिसंबर) की सुबह चेन्नई पहुंचा तो वहां मेरे कोर्स के कोऑर्डिनेटर ने मुझे तुरंत इमिग्रेशन के अफसरों से मिलने की सलाह दी. जब मैं वहां पहुंचा तो उन्होंने मेरे आवासीय परमिट से संबंधित कुछ प्रशासनिक मुद्दों का हवाला दिया. जब मैंने उनके प्रश्नों का जवाब दे दिया और यह स्पष्ट हो गया कि मेरे आवासीय परमिट में कोई समस्या नहीं थी. इसके बाद अचानक से वह मेरी राजनीति और शौक के बारे में सवाल करने लगे. उन्होंने मेरे से सीएए और उसके विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के बारे में पूछा. इसके बाद हमने प्रदर्शन संस्कृति पर चर्चा की . इस पूछाताछ के दौरान तीन अधिकारी शामिल थे. उनमे से किसी के नाम के बारे में मुझे जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि छात्र वीजा के उल्लघंन के कारण तुरंत देश छोड़ना पड़ सकता है. जब मैंने उनसे लिखित पत्र मांगा तो उन्होंने मेरा पासपोर्ट वापस करते हुए कहा कि आपको लिखित पत्र मिल जाएगा. लेकिन मुझे एक भी पत्र नहीं मिला है. इसके बाद मैं आईआईटी गया और टिकट बुक किया अपना सामान पैक किया और हवाई अड्डे के लिए निकल गया.”

पत्र न मिलने के मामले में एफआरओ के वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया की, “वह लिंडेंथल के मामले से अनजान थे, अगर जर्मन छात्र ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था, तो यह भारत में रहने वाले विदेशियों के लिए वीजा नियमों का उल्लंघन करने का ‘स्पष्ट मामला’ था. यदि कोई उल्लंघन होता है, तो संस्था अधिकारियों को मामले की रिपोर्ट करने के लिए बाध्य हैं. उनका वीजा जल्द ही रद्द हो सकता है.”