IIT गोल्ड मेडलिस्ट इंजीनियर बने संन्यासी, जाने क्यों?

आईआईटी (IIT) दिल्ली से पास आउट एक गोल्ड मेडलिस्ट इंजीनियर एक सन्यासी। कुछ विचित्र सा लग रहा है। लेकिन ऐसा हुआ है एक गोल्ड मेडलिस्ट इंजीनियर जो IIT दिल्ली से B.Tech किये हुए है। पर वो संन्यासी बना। ऐसा ही एक वीडियो वायरल हो रहा है। जानते है क्या है पूरा मामला।

IIT गोल्ड मेडलिस्ट इंजीनियर

संदीप कुमार भट्ट जो की IIT दिल्ली से पास आउट गोल्ड मेडलिस्ट इंजीनियर है। जो की एक अच्छी कंपनी में बहुत ही मोटी सैलरी भी थी। लेकिन फिर भी सब कुछ छोड़ कर छोड़ कर मेहज 28 साल की उम्र में सन्यासी बनने की रह पकड़ ली। जिसके बाद उन्होंने शादी भी नहीं की। संदीप कुमार भट्ट मूल रूप से बिहार के रहने वाले है। उन्होंने बताया की साल 2002 में उन्होंने IIT से अपनी B.Tech ख़त्म की थी।

स्वामी सूंदर गोपालदास बन गए

साल 2004 में M.Tech खत्म किया और उसके बाद Larsen & Teubro में बतौर मैनेजर कार्यकृत थे। उन्होंने वहा साल 2004 से 2007 तक काम किया। फिर 2007 में वो संन्यासी बनने के लिए निकल गए और संन्यासी बन गए। और वो स्वामी सूंदर गोपालदास हो गए।

बड़ी कंपनी IIT, IIM हायर करती है आखिर क्यों ?

संदीप कुमार बताते है की आज-कल मशीने अपडेट हो रही है। उनकी क्वालिटी बढ़ रही है और इंसानो की कम हो रही है। वो आगे बताते है की हमे पढ़े लिखे साधु और संतो की ज़रूरत है। और सोचिये ऐसी क्या वजह हो सकती है की हर बड़ी से बड़ी कंपनी भी IIT, IIM और वेल एडुकेटेड लोगो को ही हायर करते है। क्युकी शिक्षा से ही परिवर्तन आता है। उन्होंने आगे ये भी बताया की अगर समाज में अच्छे बढ़ानी है , तो ऐसे ही लोगो को आगे आना होगा

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वो बताते ही की जब वे इंजीनिरिंग कर रहे थे तब वो बहुत से डॉक्टर , इंजीनियर, बड़े बड़े अधिकारी , नेता , है। लेकिन कोई भी ऐसा इंसान नहीं जो की समाज को अलग राह दिखाए। लोगो का चरित्र सुधारे। धार्मिक और अध्यात्मक शिक्षा को बढ़ावा दे। कुछ ऐसा ही करने के लिए उन्होंने सब कुछ छोड़ कर सन्यासी बन गए।
वो बताते है की लोग भौतिक सुख के पीछे भागते है। जिसके कारन डिप्रेशन, आत्मदेह , नशा जैसे काम हो रहे है। क्युकी लोगो में धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों ज्ञान की कमी है। जिसके चलते लोगो को इन सब का सामना करना पड़ता है।

माता पिता नहीं थे खुश

जब उनसे पूछा गया की जब वो सन्यासी बन गए थे तो उनके माताजी पिताजी ने उस समय कैसा रियेक्ट किया ?
उस पर उन्होंने बोला की उके मातजी और पिताजी का भी वो रिएक्शन था जैसा की एक आम माँ बाप का होता है। लेकिन उन्होंने अपने घरवालों को समझा की वो ये सब ही करना चाहते है।

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