
शाहीन बाग़ एक ऐसा मुद्दा जिसके इर्द-गिर्द दिल्ली का चुनाव हुआ, आम आदमी पार्टी ने सत्ता हासिल की. इसी बाग़ में देश को तोड़ने की बाते हुई, दंगा करने के लिए लोगों को प्रेरित करने की बातें की, लोगों को भड़काने का काम हुआ.
इसी बीच कोई पत्रकार जाता तो बस गिने चुने पत्रकारों को शाहीन बाग़ की कवरिंग करने दिया जाता. जैसे की ब्रह्माण्ड के सबसे निष्पक्ष पत्रकार रविश कुमार जी, खैर इसी दौरान अगर कोई दूसरा पत्रकार जाता तो उसके साथ बतमीजी की जाती उसके साथ मारपीट की जाती.
तब यही NDTV के पत्रकार उस पत्रकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट डालते और कहते ऐसे लोगों के साथ यही होना चाहिए, अब जब खुद को लोगों ने पत्थर मारे तो यह कैमरा लेकर वह से भागते हुए नज़र आये.
इसी कड़ी में दीपक चौरसिया नाम के पत्रकार ने शाहीन बाग़ में हुए व्यवहार पर उड़ाए गए NDTV के पत्रकार के उपहास को याद करते हुए चुटकी ली और कहा की, “प्रिय दोस्त, श्रीनिवासन जैन शाहीन बाग़ पिटाई के वक्त आपने लिखा था मैं तो पत्रकार हूँ नहीं. लेकिन आप तो हैं. फिर CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे इन शांतिदूतों ने आप पर पत्थर क्यों बरसाएँ? हाँ अगर आप उनसे कहते कि आप रविश कुमार के चैनल से हैं तो आपका ये हाल नहीं होता.”
प्रिय दोस्त! @SreenivasanJain !#ShaheenBagh पिटाई के वक्त आपने लिखा था मैं तो पत्रकार हूँ नहीं!लेकिन आप तो हैं!फिर CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे इन शांतिदूतों ने आप पर पत्थर क्यों बरसाएँ? हाँ अगर आप उनसे कहते कि आप रविश कुमार के चैनल से हैं तो आपका ये हाल नहीं होता !#DelhiBurns pic.twitter.com/82kmA3TH2X
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) February 26, 2020
दरअसल NDTV के पत्रकार यह भूल गए थी, आप जिस घटना को सही ठहरा रहें हैं, कल को वह घटना आपके साथ भी हो सकती हैं. याद रखें BJP समर्थकों की संख्या वामपंथी समर्थकों की संख्या से बहुत अधिक हैं. वो बात अलग है की नोटों से ज्यादा सिक्कों की आवाज़ ज्यादा होती हैं. ऐसे में गलत को अगर आप गलत नहीं कह सकते तो कम से कम उसे सही साबित करने की भी कोशिश न करें.