
हैदराबाद पुलिस ने आज देश में वो काम करके दिखा दिया जिसका सपना सभी देशवासी देख रहें थे. मामला कोर्ट में चलता तो इन लड़कों में से कई लड़के नाबालिक होने के चलते छूट जाते. और अरविन्द केजरीवाल निर्भया के जैसे इसे भी 10000 नकद और सिलाई मशीन इनाम के तौर पर देते.
लेकिन शायद भगवान भी अब क्रोधित हो चुके थे इसलिए हालात ऐसे बने की हैदराबाद पुलिस को एनकाउंटर करना पड़ा. बताया जा रहा है की, हैदराबाद की पुलिस इन चारो आरोपियों को घटनासथल पर क्या-क्या और कैसे हुआ था. इसके लिए उसी जगह पर ले जाकर पूछताछ करने वाली थी.
पुलिस ने जब पूछताछ के लिए सबको वैन से निचे उतरा और जांच आगे चली तो सभी ने वहां से भागने की कोशिश की, पुलिस का कहना है की इसी दौरान हमें फायर करना पड़ा जिसकी वजह से इन चारों की मौत हो गयी.
आपको बता दें की प्रियंका रेड्डी 28 नवंबर की रात को अपने घर आ रही थी, वह एक पशु चिकित्सक थी और रास्ते में उसकी गाडी पंचर हो गयी थी. कुछ लोगों ने उसकी मदद करने की पेशकश की , प्रियंका रेड्डी ने मदद को स्वीकार किया लेकिन पंचर लगाने के बहाने वो उसे सुनसान जगह ले गए जिसके बाद प्रियंका रेड्डी ने अपनी बहन को फ़ोन किया और कहा, ‘गाड़ी खराब हो गई है, मुझे यहां डर लग रहा है. आस-पास सिर्फ ट्रक ही दिख रहें हैं.’
इसके बाद फ़ोन स्विच ऑफ हो गया और उसके बाद का वाक्या तो आप जानते ही हैं. लेकिन पुलिस रिमांड के दौरान मुख्य आरोपी ने बताया की, गैंगरेप के बाद हमें डर था की वह भाग न जाए इसलिए हमने उसके हाथ पैर बाँध दिए थे और बेहोश करने के लिए उसे जमकर शराब पिलाई थी.
आरोपियों का कहना था, पहले हमारा मकसद सिर्फ पुल के निचे रखकर भाग जाना था, लेकिन फिर हमें एहसास हुआ की ऐसे हम पकडे जा सकते हैं. इसलिए हमने पुल से निचे फेंक कर मार दिया और जला दिया. लेकिन पोस्टपार्टम रिपोर्ट में साफ़ हुआ हैं की प्रियंका रेड्डी पुल से निचे फेंके जाने के बाद मरी नहीं थी. जब उसे जलाया गया वो जिन्दा थी.

लेकिन इस बार आरोपियों की किस्मत में दिल्ली पुलिस जैसे अफसर और हालात नहीं थे, भगवान ने भी इस बार हालात ही कुछ ऐसे बनाये की मामला कोर्ट तक पहुंचा ही नहीं. अगर पहुँच भी जाता तो जल्लाद नहीं हैं, उम्र कम हैं, मुस्लिम हैं, छोटी जाती हैं, कनवर्टेड हैं आदि कहकर राजनीती के इलावा शायद ही कुछ होता, उदाहरण निर्भया के आरोपी.