
देश के गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के सवालों का जवाब देते हुए संसद में कहा की, जब 1971 में बांग्लादेश से आए मुस्लिमों को इंदिरा गाँधी ने देश की नागरिकता दी थी तो पाकिस्तान से आए हिन्दुवों को क्यों नहीं दी गयी थी?
अमित शाह ने कहा की इस बिल से मुस्लिम और गैर मुस्लिमों में समानता के अधिकार पर फर्क नहीं पड़ेगा. अमित शाह ने कहा देश पहले ही अल्पसंख्यकों को कई अधिकार दे चूका है, ऐसे में उन अधिकारों से यह लोग वंचित नहीं होंगे.
विपक्ष का विरोध इस बिल से इसलिए नहीं है की इस बिल में शरणार्थियों को भारत की नागरिकता हासिल हो सकेगी, विपक्ष का विरोध इसलिए क्योंकि इस बिल के बाद केवल बिल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिमों को ही भारत की नागरिकता हासिल हो सकेगी.
अमित शाह ने कहा आज हम पर आरोप लगा रहें हैं की हमने धर्म के आधार पर बिल लाया है, यह वही कांग्रेस हैं जिसने धर्म के आधार पर देश का विभाजन कर दिया था. उन्होंने कहा इस बिल को समझने के लिए पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान पढ़ना होगा.
अमित शाह का कहना है की बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से भारत आए मुस्लिम इसलिए शरणार्थी नहीं हैं की उनके साथ धार्मिक प्रतारण हुआ था. वो केवल अपनी आर्थिक महत्वकांक्षाओं के चलते अपने मुस्लिम देश को छोड़कर भारत आए हैं.
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— BALA (@erbmjha) December 9, 2019
फिलहाल इस बिल के विरोध में कांग्रेस, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग पार्टी, एनसीपी और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट आदि पार्टियां खड़ी नज़र आ रही हैं. राज्य सभा में बीजेपी की स्थिति यह है की बीजेपी के इलावा अगर एक छोटी-मोटी पार्टी भी बीजेपी का समर्थन कर देती है तो बीजेपी राज्यसभा में भी इस बिल को पास करवाने में कामयाब रहेगी.