
भारत एक ऐसा देश हैं जहां की एक यूनिवर्सिटी में आप दिल्ली जैसे शहर में 10 रूपए प्रति महीने के किराए पर रह सकते है. ब्रांडेड कपडे, 50-50 हजार का फ़ोन पकडे विद्यार्थी आपको इस 10 रूपए प्रति महीना किराए को बढ़ाकर 300 रूपए प्रति महीना किये जाने पर विरोध जताते भी दिख जायेंगे.
यही नहीं इसमें भी नेता अपनी राजनितिक रोटियां सेकने के लिए कहेंगे की 300 रूपए प्रति महीने किराया नहीं बढ़ाना चाहिए वहां बहुत गरीब लोग पढ़ते हैं. यह नेता कोई और नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के जाने माने नेता गुलाम नबी आज़ाद हैं.
गुलाम नबी आज़ाद ने कहा है की, “300 फीसदी फीस बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है.” कांग्रेस हमेशा से ही आंकड़ों को ऐसे दर्शाती है की इससे लोगों को भ्रम पैदा हो जाता यही की यह क्या हो गया. लेकिन 300 फीसदी की जगह अगर वो 300 रूपए कहते तो बात में दम नहीं होता.
इस पुरे विवाद को हल निकालने के लिए एचरआरडी मंत्रालय ने यूजीसी के पूर्व चेयरमैन वीएस चौहान की अध्यक्षता वाली एक टीम का गठन किया है और इस पर भी गुलाम नबी आज़ाद ने कहा है की इससे कोई लाभ नहीं होगा.

शायद आज आपको पता न हों लेकिन जेएनयू के आस पास आज सोमवार के दिन धारा 144 को लागु किया गया है. जेएनयू के छात्र फीस बढ़ोतरी, हॉस्टल में ड्रेस कोड, हॉस्टल में खुद से विपरीत लिंग के महिला/पुरुष को लाना, शाम छह बजे तक हॉस्टल में वापिस आना आदि नियमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है. इसी विरोध प्रदर्शन में वह जेएनयू से संसद तक पैदल मार्च करते हुए भी दिखाए देंगे.