
कोरेगांव भीमा हिंसा किसे याद नहीं होगी? विपक्षी पार्टियों ने पकडे सभी आरोपियों को अपनी तरफ से क्लीन चिट दे दी थी. उधर वामपंथी पत्रकार और इतिहासकार भी इन आरोपियों की गिरफ्तारी गलत बता रहे थे.
जाँच एजेंसियों की तरफ से अब बड़ी खबर सामने आ रही है. महाराष्ट्र के एलगार परिषद-कोरेगांव भीमा हिंसा भड़काने वाले 19 आरोपियों के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश, सरकार को उखाड़ फेंकने और केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ जंग छेड़ने जैसे आरोपों के तहत कार्यवाही चल रही हैं.
अब जाँच में आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है और उन्होंने कहा है की, हम सभी ने मिलकर नरेंद्र मोदी की हत्या के लिए 4 लाख गोलियां और बंदूकों का इंतजाम करने के लिए पैसे इक्क्ठा कर लिए थे.
यह पूरा सामान लगभग 8 करोड़ रूपए का आता जो चीन से नेपाल के रास्ते होता हुआ आता. आपको बता बता दें की इन आरोपियों में सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनोन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और वरवरा राव भी शामिल हैं और अभी पुलिस के गिरिफ्त में हैं.
उन्होंने बताया है की हमारा मकसद राजीव गाँधी की तरह नरेंद्र मोदी की हत्या के बाद हिंसक दंगा भड़काने का था, जिसके बाद पुरे देश में हिंसा फ़ैल जाती. इसीलिए हमने 4 लाख गोलियों और कुछ भारी तादार में M4 बंदूकों का अनुमान लगाकर पैसे इक्क्ठा किये थे.

अब सबसे पहले उन नेताओं और पत्रकारों से सवाल पूछने चाहिए की आप किन लोगों को बेकसूर बता रहे थे? जो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के बाद पुरे देश में दंगा भड़काना चाहते थे? इस दंगे में कितनी जाने जाती और कितना आर्थिक नुक्सान होता इसका अंदाज़ा भी है इन नेताओं और पत्रकारों को? जो जाँच एजेंसियों की कार्यवाही के बिना ही क्लीन चिट बाँटते फिरते हैं?