
शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन बिल लाने के लिए मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी हैं. इस बिल के तहत अब भारत में केवल गैर मुसलमानों को ही नागरिकता मिल सकेगी. यह सुनकर ही विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया है और मोदी सरकार का विरोध कर रहें हैं.
इस बिल का सबसे अधिक विरोध उन राज्यों में हो रहा है, जहां पर बांग्लादेशी घुसपैठिये भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए भारत में आते हैं. जी हां हम बात कर रहें हैं पश्चिम बंगाल की. आज इस बिल को देश के गृहमंत्री अमित शाह जी द्वारा संसद में पेश किया जायेगा.
भारतीय जनता पार्टी ने इस बिल के बाद अपने सभी सांसदों को संसद में रहने का वहीप जारी किया हैं. जिससे अनुमान लगाया जा रहा हैं की बीजेपी एनआरसी के बाद नागरिकता के बिल को भी दोनों सदनों में पास करवा लेगी.
अनुछेद 370 के वक़्त यह देखने को मिला था, जब बीजेपी के सभी सांसद दोनों सदनों में मजूद थे और दोनों जगह एक ही दिन में इतने हंगामे के बीच में से बीजेपी 370 हटाने में कामयाब रही थी. नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को इस बिल में बदलते हुए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों आदि के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का खुला विकल्प होगा.
वहीं अगर कोई मुस्लिम भारत में नागरिकता हासिल करना चाहता है तो इस बिल के बाद वो नहीं कर सकेगा. पहले देश में 11 साल रहने के बाद भारतीय नागरिकता हासिल की जा सकती थी, अब इसे बदल कर 6 साल कर दिया जायेगा. यह बदलाव केवल गैर मुसलमानों पर लागू होगा.
Union cabinet clears Citizenship Amendment Bill: PTI quoting sources pic.twitter.com/L6yXbgjxwp
— Times of India (@timesofindia) December 4, 2019
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हों, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी हों या फिर अन्य विपक्षी नेता सभी मोदी सरकार को धर्म के नाम पर घेरने लगे हैं. जो लोग धर्म के नाम पर देश के बांटे जाने पर कुछ नहीं बोले वो अब नागरिकता को धर्म के नाम पर देने का दोष दे रहें हैं.
अब देखना यह होगा की क्या बीजेपी 370 और 35ए जैसे विपक्ष के हंगामे के बावजूद इस बिल को दोनों सदनों में पास करके कानून बना देगी या फिर यह मामला बाद में सुप्रीम कोर्ट में जाएगा.