
अंग्रेजी दैनिक अखबार द हिंदू के पत्रकार उमर रशीद को उत्तर प्रदेश की पुलिस ने हिरासत में ले लिया हैं. बताया जा रहा है की शाम 6.45 बजे लखनऊ में बीजेपी ऑफिस के पास स्थित एक ढाबे के पास यह नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अपना प्रदर्शन कर रहे थे.
उन्होंने बाद में एक लेख के जरिए लोगों की बताया की पुलिस ने हमारे साथ कैसा व्यवहार किया. उन्होंने कहा की जब मैंने पुलिस को बताना चाहा की मैं एक पत्रकार हूँ तो उनके एक अधिकारी ने कहा की अपनी पत्रकारिता अपने पास ही रखो.
हालाँकि उमर रशीद ने बताया की वह यूपी सरकार की प्रेस कांफ्रेंस कवर करने के लिए गए हुए थे और ढाबे के पास चार अन्य लोगों के साथ बैठकर खाना खा रहे थे. इसी दौरान पुलिस आयी और उनके एक स्थानीय कार्यकर्ता रोबिन वर्मा को पास के हजरतगंज पुलिस थाने में ले गयी.
पुलिस ने सबका फ़ोन जब्त कर लिया, जिससे कोई भी किसी को मैसेज या फिर फ़ोन न कर सके. उसके बाद पुलिस वालों ने रोबिन को पूछताछ के नाम पर चमड़े की मोटी बेल्ट से पीटना शुरू कर दिया. उमर रशीद का कहना हैं की, जब उन्होंने पुलिस से जानने की कोशिश की उन्होंने रोबिन को क्यों पकड़ा हैं तो पुलिस ने उन्हें चुप रहने को कहा और आईपीसी की धारा 120बी लगाने की धमकी भी दी.
हालाँकि पुलिस का कहना हैं की, हमने इन सभी लोगों को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध करते हुए पकड़ा हैं. जबकि उमर रशीद कुछ अलग ही कहानी ब्यान कर रहा हैं. उमर रशीद ने कहा की पुलिस ने मुझ से कहा की मैंने कश्मीरी मुसलमानों को कहां पर छुपाया हुआ हैं.
जबकी मैं लगातार कह रहा था की मैं एक पत्रकार हूँ मैं केवल यूपी सरकार की प्रेस कांफ्रेंस कवर करने के लिए आया हूँ. इसपर पुलिस वाले और ज्यादा गुस्सा हो गए और उन्होंने कहा की अगर हमारे सवालों का जवाब नहीं दिया तो एक-एक की दाढ़ी नोच लेंगे. हजरतगंज थाने के सर्किल ऑफिसर ने भी हम लोगों से कुछ सवाल जवाब किये, बाद में मुख्यमंत्री के ऑफिस से हम लोगों को छोड़ने के लिए फ़ोन आया और फिर उन अधिकारियों ने हम लोगों से माफ़ी भी मांगी.

फिलहाल पुलिस और उमर रशीद दोनों के ही ब्यान एक दूसरे से विपरीत हैं, इसलिए अभी कहना मुश्किल हैं की कौन सच बोल रहा हैं और कौन झूठ बोल रहा हैं. उधर योगी सरकार पहले ही साफ़ कर चुकी हैं, इस हालात में पुलिस वालों को हमारी प्रोटेक्शन हैं उनपर कोई एक्शन नहीं लिया जायेगा. बस प्रदेश के हालात खराब नहीं होने चाहिए किसी भी हाल में.