ये मोदी और शाह भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाह रहा है, इसलिए NRC और CAA राजस्थान में नही होगा लागू

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नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में एक विशाल शांति मार्च का नेर्तत्व किया. अशोक गहलोत का कहना था की, यह बिल संविधान के विरुद्ध और बीजेपी देश को धर्म के नाम पर बांटने का प्रयास कर रही हैं.

हालाँकि बीजेपी और सुप्रीम कोर्ट दोनों ही यह कह चुके हैं की संविधान के विरुद्ध इस बिल को नहीं लाया गया हैं. अमित शाह के बार-बार कहने पर की नागरिकता किसको देनी हैं और किसको नहीं यह अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है न की राज्य सरकार के पास, इसलिए यह बिल किसी भी राज्य की सरकार अपने राज्य में लागु करने से मना नहीं कर सकती.

फिर भी नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के ऊपर बोलते हुए अशोक गहलोत ने कहा की हम इसे राजस्थान में लागू करने नहीं देंगे. आपको बता दें की यह मार्च जयपुर के अल्बर्ट हॉल से जेएलएन मार्ग के गांधी सर्कल के लगभग तीन किलोमीटर तक निकाला गया था.

यह मार्च महागठबंधन के बैनर तले निकाला गया था, जिसमें माकपा, आप, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, जेडीएस, सिविल सोसायटी, प्रबुध जनों, अल्पसंख्यकों के सदस्यों और नेताओं का जमावड़ा देखने को भी मिला. उन्होंने भाजपा, आरएसएस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप भी लगाया की यह अपना हिन्दू राष्ट्र बनाने के सपने को पूरा करने का प्रयास कर रहें हैं.

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए अशोक गहलोत ने कहा की, “उनका राष्ट्रवाद खोखला है और अब लोग उनकी चाल के बारे में अच्छी तरह से समझ गये हैं. भाजपा अहंकार में शासन कर रही है, उनके पास जो बहुमत है, कानून बना सकते हैं, लेकिन लोगों का दिल नहीं जीत सकते. आज देश जल रहा है. भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में हिंसा में 15 लोगों की मौत हो गई है.”

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उन्होंने आगे कहा की, “देश आजादी के बाद 70 साल में संविधान के सिद्धांतों पर चला लेकिन अब मोदी सरकार संविधान को तहस नहस कर रही है. आरएसएस और भाजपा हिंदू राष्ट्र बनाने के अपने एजेंडे को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं. नरेंद्र मोदी और अमित शाह एक के बाद एक राष्ट्रवाद के संदेश दे रहे हैं. राष्ट्रवाद की बात कर रहे हैं. क्या हम राष्ट्रवादी नहीं हैं?”

अशोक गहलोत ने आगे कहा की, “असम में एनआरसी को लागू करने में विफल रहे. सर्वेक्षणों के बाद 19 लाख लोगों की पहचान की गई और उनमें से 16 लाख लोग हिंदू थे. जब उनका अभियान वहां सफल नहीं हो सका, तो वे नागरिकता संशोधन विधेयक लेकर आए हैं. सरकार को अवैध घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और इस बारे में सभी समुदाय के लोग सरकार का समर्थन करेंगे लेकिन धर्म के नाम पर लोगों को विभाजित करने का कदम बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”

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