
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 यह एक ऐसा बिल है जो तीन तलाक़ बिल के मुद्दे से भी ज्यादा विवादित हैं. इस बिल को पास करवाने के लिए अकेली बीजेपी के पास ही लोकसभा में बहुमत का आंकड़ा तो हैं, लेकिन राज्यसभा में मात्र कुछ सीटों से पेंच फसा हुआ हैं.
देश के गृह मंत्री के पास राज्यसभा में भी इस बिल को पास करवाने के लिए तीन तरह के विकल्प मजूद हैं. सबसे पहला विकल्प जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 (Article 370) हटाने जैसा है. जिसमे लगभग 6 घंटे बिल पर चर्चा हुई थी और बाद में इसपर वोटिंग.
245 सीटों वाली राज्यसभा में मात्र 238 सदस्य ही सदन में मजूद रहेंगे. ऐसे में बिल पास करवाने के लिए 120 सदस्यों के मत बीजेपी को चाहिए होंगे. फिलहाल बीजेपी के पास भी यह आंकड़ा मजूद नहीं हैं.
ऐसे में विरोधियों की बात करें तो कांग्रेस 45 सांसद, टीएमसी के 13 सांसद, समाजवादी पार्टी (SP) के 9 सांसद, द्रविड़ मुनेत्र कझगम (DMK) के 5 सांसद, आरजेडी (RJD) और बीएसपी (BSP) के 4-4 सांसद यानी लगभग 100 संसद विपक्ष में मजूद हैं.
अब अगर पक्ष की बात करें तो अकेली बीजेपी के पास ही 83 सांसद मजूद हैं. वहीं साथी दलों की बात करें तो शिरोमणि अकाली दल के 3 सांसद, एआईएडीएमके के 11 सांसद, जेडीयू के सदन में 6 सांसद, नामित सांसदों समेत 12 अन्य सदस्य जो की बीजेपी के पूर्वोत्तर साथी दलों के हैं. ऐसे में बीजेपी और उनके साथी दलों को मिलकर भी 118 वोट ही बन पाते हैं.
अब सबकी नज़रें शिवसेना और बीजू जनता दल नाम की पार्टी पर हैं. बीजू जनता दल ने प्रस्तावित संशोधनों में कुछ बदलाव की मांग करते हुए इस बिल को समर्थन देने का फैसला किया हैं. बीजेडी के पास इस वक्त 7 सांसद हैं ऐसे में एनडीए के पास यह आंकड़ा बिना शिवसेना के ही 125 का पहुँच जाता हैं.
फिलहाल शिवसेना की तरफ से कुछ भी पक्का नहीं हो पा रहा, इनके कुछ नेता बिल का समर्थन कर रहें हैं. जिससे 2024 के लोकसभा चुनावों में महागठबंधन की राह उद्धव के नेर्तत्व में आसान हों तो कुछ नेता इस बिल का विरोध कर रहें हैं जिससे साथी दल नाराज़ न हो ऐसे में हो सकता है शिवसेना इस बिल की वोरिंग के दौरान सदन से बाहर चली जाए.

वोटिंग में हिस्सा न लेने वाली पार्टियों के नाम हैं तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाईएसआरसीपी, टीडीपी, इसके इलावा अनिल बलूनी समेत बीजेपी के 2 सांसद सदन में कुछ निज़ी कारणों के चलते हिस्सा नहीं लेंगे, वहीं बिल का समर्थन करने वाले दो निर्दलीय राज्यसभा सदस्य भी अपने कुछ निज़ी कारणों के चलते वोटिंग का हिस्सा नहीं बन पाएंगे, कांग्रेस के मोतीलाल वोहरा भी खराब तबियत के चलते सदन में हिस्सा नहीं लेंगे.