देश में फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्या और उनके सामने आने वाली आपदा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है! पिछली सुनवाई में अदालत ने केंद्र सरकार और देश भर की राज्य सरकारों को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया था! सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार को बताना चाहिए कि प्रवासी मजदूरों के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं! कोर्ट ने कहा है कि अब तक के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं! यह प्रवासी मजदूरों के लिए एक कठिन अवधि है और इस स्थिति को दूर करने के लिए प्रभावी ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है!
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि यह एक अभूतपूर्व संकट है और हम अभूतपूर्व कदम भी उठा रहे हैं! सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि प्रवासी मजदूरों को टिकट कौन दे रहा है, उन्हें भुगतान कौन कर रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टिकट के भुगतान को लेकर भ्रम की स्थिति है और यही वजह है कि मध्यम पुरुष ने इसका पूरा फायदा उठाया है! केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार मजदूरों के लिए काम कर रही है, लेकिन राज्य सरकारों के माध्यम से उन तक नहीं पहुंच रही है, कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं!
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि प्रवासी मजदूरों को स्थानांतरित किया जाएगा, सरकार तब तक प्रयास जारी रखेगी जब तक कि एक भी प्रवासी रहता है, ट्रेनों का संचालन जारी रहेगा! सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए 3700 ट्रेनें चलाई हैं, अब तक 50 लाख प्रवासी मजदूर अपने गांवों में गए हैं! जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 40 लाख पड़ोसी राज्यों के सहयोग से सड़क द्वारा स्थानांतरित किए गए हैं! मेहता ने कहा कि एक मई से 27 मई तक कुल 91 लाख प्रवासी मजदूरों को स्थानांतरित किया गया है!