
चीन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) समझौते से भारत के बाद अब जापान ने भी खुद को अलग कर लिया हैं. जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे ने एक प्रेस कांफेरेंस के जरिये बताया की भारत आरसीईपी समझौते में अगर शामिल नहीं होता तो वह भी इस समझौते में शामिल नहीं होंगे.
आपको बता दें की दिल्ली यात्रा सहित कई कूटनीतिक समझौते से ठीक पहले जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे का यह ब्यान कई मायनों में भारत की कूटनीति का हिस्सा माना जा रहा हैं. आपको बता दें की जब भारत ने इस क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी से खुद को बाहर किया था तो चीन ने कहा था कोई बात नहीं हमारे साथ और भी 15 हैं, जब भारत का दिल करे उसका क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी में स्वागत होगा.
लेकिन अब लग रहा यही चीन के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी साथ एक-एक करके देश कम होते जा रहें हैं. जापान के डेप्युटी इकॉनमी, ट्रेड एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर हिदेकी मनिहारा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा हैं की, “फिलहाल हम इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं. हम भारत के साथ आरसीईपी समझौते में शामिल होने के बारे में सोच रहे हैं.”
अब फिलहाल चीन के इस क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, न्यू जीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, थाइलैंड तथा वियतनाम जैसे देश ही बचे हैं.

आपको बता दें की चीन के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी का हिस्सा बनने वाले सदस्य देशों को आयात और निर्यात पर लगने वाला टैक्स नहीं भरना होगा. अब जैसा की हम सब जानते हैं चीन एक एक्सपोर्टिंग कंट्री हैं. ऐसे में किसी भी देश को उतना फायदा इस समझौते से नहीं होगा जितना चीन को होगा. क्योंकि उस समझौते में शामिल होने के बाद कोई देश चीन के सामान पर टैक्स नहीं लगा सकेगा और चीन को एक तरह का खुला बज़ार मिल जायेगा.