
इस वक़्त बड़ी खबर कर्नाटक के बेंगलुरु से आ रही हैं, एक वीडियो काफी तेज़ी से वायरल हो रहा है जिसमे नागरिकता संशोधन कानून को लेकर प्रदर्शन कर रहें लोगों के बीच डीसीपी ने राष्ट्रगान गाना शुरू कर दिया जिसके बाद से भीड़ शांत हो गयी और डीसीपी का साथ देते हुए राष्ट्रगान गाने लगी.
यह अपने आप में बहुत बड़ी बात थी, जहां हिंसक प्रदर्शन को काबू करने के लिए. राज्यों की पुलिस आंसू गैस के गोले, वाटर कैनन, और लाठियों का इस्तेमाल कर रही हैं. वहीं बेंगलुरु के डीसीपी चेतन सिंह राठौर ने मुस्लिम भीड़ को समझाया.
उन्होंने मुस्लिम भीड़ को काबू करने के लिए कहा की, “मोब मेंटेलिटी आने के बाद आप में ही छुपे हुए बदमाश को हम आँखों से टेस्ट नहीं कर सकते, वो हम में से ही कोई छुपा होगा. अगर उसने इसका फायदा उठा लिया तो पीटेंगे हम सब.” इस बात पर मुस्लिम भीड़ ने अपना समर्थन देते हुए ‘सही बात’, ‘सही बात’ चिलाना शुरू कर दिया.
फिर उन्होंने आगे कहा की, “अब मुझपर भरोसा है, अगर मुझपर भरोसा है तो मैं एक गाना गाऊंगा और उस गाने में मेरे सारे देशवासी, मेरे साथ खड़े होंगे.” उसके आबाद डीसीपी चेतन सिंह राठौर ने राष्ट्रगान गाना शुरू कर दिया.
फिर मुस्लिम समाज के प्रदर्शनकारियों ने भी उनके साथ राष्ट्रगान गाना शुरू कर दिया. डीसीपी की इस सूझबूझ और दरियादिली ने हिंसक भीड़ को शांत करवा दिया. राष्ट्रगान ख़त्म होने के बाद लोगों ने भारत माता की जय के नारे भी लगाए और साथ ही डीसीपी के लिए तालियां भी मारी.
यह प्रदर्शन अपने आप में एक अलग तरह का प्रदर्शन था और इस प्रदर्शन से सबक दूसरे राज्यों की पुलिस और प्रदर्शनकारियों को भी लेना चाहिए. लोकतंत्र का मतलब यह होता है की आप अपनी आवाज़ सरकार तक पहुंचा सके और अपनी आवाज़ सरकार तक पहुंचाने के लिए संविधान आपको आंदोलन करने का अधिकार तो देता हैं, लेकिन दंगा करने का नहीं.