आजकल देश में कुछ भी हो सब भीमराव अंबेडकर की दुहाई देने लगते हैं! लेकिन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने इस्लाम पर खुलकर विचार व्यक्त किए थे! उनका कहना था कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत में मुस्लिम आक्रांता हिंदुओं के खिलाफ घृणा का राग गाते हुए आए थे! उन्होंने न केवल नफरत ही अप्लाई बल्कि युवा पर जाते समय हिंदू मंदिर भी जला दिए गए! डॉक्टर अंबेडकर का कहना है कि उनकी नजर में यह एक नेक काम था और उनके लिए तो इसका परिणाम भी नकारात्मक नहीं था!
मिली हुई जानकारी के अनुसार, उन्होंने एक सकारात्मक कार्य किया जिसे उन्होंने इस्लाम के बीज बोने का नाम दिया है! और इस पौधे का विकास भी बखूबी हुआ! भीमराव अंबेडकर अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि अजमेर में चढ़ाई के दौरान मोहम्मद गोरी ने मंदिरों के स्तंभों न्यू तोड़कर वहां मस्जिद ए बना दी वहां इस्लाम के कायदे कानून वाले कॉलेज और प्रतीक खड़े कर दिए! कहा जाता है कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1000 से अधिक मंदिर तोड़े और उसके बाद उनकी नींव पर ही मस्जिदों का निर्माण कर दिया!
कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में जामा मस्जिद बनाई और इसमें वह पत्थर और सुना लगाया गया जो मंदिर जुड़वा कर प्राप्त किए गए थे! उसके बाद उन पर कुरान की आयतें लिपिबद्ध करवा दी गई! इन सभी भयावह कारणों की चर्चा और परिणामों का मिलान बताता है कि दिल्ली में मौजूद जामा मस्जिद के निर्माण में 27 मंदिरों की सामग्री लगी है!”