
आम आदमी पार्टी के संयोजक मयूर पंघाल ने दिल्ली दंगों के दौरान आम आदमी पार्टी के ही पार्षद के घर के सामने मिली अंकित शर्मा नाम के IB ऑफिसर की लाश पर एक ऐसा घटिया बयान जारी किया हैं, जिसके लिए शायद उन्हें पहले अपनी अंतरात्मा को मारना पड़ा होगा.
बिना यह सोचे की अंकित शर्मा के परिवार के लोग जब इस बयान को पड़ेंगे तो उनपर क्या बीतेगी, उन्होंने बस बयान दे दिया. अपने बयान में मयूर कहते हैं की, “कोई ठुल्ला अपनी किस्मत से टकराए, इसके लिए मैं दुखी नहीं महसूस कर सकता हूँ. माफ़ करना अंकित शर्मा, तुम गलत लोगों की तरफ थे. जो लोग तलवार के साथ जीते हैं, तलवार से ही मारे भी जाते हैं.”
यह देश लोकतान्त्रिक हैं, सबको अपने विचार रखने का पूरा अधिकार हैं, सबके पास बोलने की आज़ादी हैं. लेकिन क्या किसी सम्मानित मृत इंसान के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग करना उचित हैं? क्या वह एक अपराधी था? भारत एक ऐसा देश हैं, जहाँ खानदानी दुश्मनी में भी किसी की मृत्यु हो जाती हैं तो उसके शव को देखकर हाथ जोड़े जाते हैं. दिग्विजय सिंह ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकी के साथ ‘जी’ लगा देते हैं.
खैर राजनीती एक ऐसी चीज़ है जो क्या न करवाए, IB अफसर एक हिन्दू था, ब्राह्मण था और जिस आम आदमी पार्टी के पार्षद के घर के सामने उनकी लाश मिली हैं वह एक मुस्लिम तो शायद कहानी यही ख़त्म हो जाती हैं. आखिर क्यों यह मयूर नाम के आप संयोजक अंकित के लिए इस भाषा का प्रयोग कर रहें हैं.
खैर अगर आप सोच रहे है की आप के मयूर ने मात्र इतनी ही घटिया मानसिकता का परिचय दिया है तो सुनिए नहीं, उन्होंने आगे लिखा है की, “क्या अंकित शर्मा भी अपने साथियों की तरह दंगाइयों की मदद कर रहा था? वर्दी वाले अपराधी की मौत का कोई अफ़सोस नहीं है.”
लेकिन इन बातों से राजनेताओं को कभी कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि उन्हें पता हैं लोकतंत्र में लोगों की यादाश्त बहुत कमजोर होती हैं. अगली बार फिर फ्री का नारा देंगे और लोग भूल जायेंगे हमने 2020 में क्या बयान दिया था.