Amarnath Yatra: बाबा बर्फानी का वो तथ्य जिससे अब तक सब थे अनजान!

Amarnath Yatra:अमरनाथ की यात्रा हिन्दू संस्कृति का एक बेहद ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। आराध्य महादेव का सबसे प्राचीन और दिव्य तीर्थ स्थल है अमरनाथ। इस तीर्थ स्थल को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है। कहते हैं की यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।बर्फ से शिवलिंग बनने की वजह से इसे ‘बाबा बर्फानी’ भी कहते हैं। कहा जाता है की इस तीर्थस्थल की खोज एक मुस्लिम गड़रिए द्वारा की गयी थी। लेकिन आज हम आपको बताएंगे की सच्चाई क्या है।

Amarnath Yatra

हिन्दुओं को पेश की गयी मनगढंत कहानी ?

Amarnath Yatra पर सदियों से एक झूठ बताया जा रहा है। हिन्दुओं को सदियों से बताया जा रहा है कि अमरनाथ गुफा की खोज एक मुस्लिम गड़रिए बूटा मलिक ने साल 1850 में की थी। जिसमें उसे भगवान शिवा का हिमलिंग अवतार मिला था। इस गड़रिए की खोज के बाद ही बाबा बर्फानी के बारे में पूरे देश के लोगों को पता चला और तीर्थ यात्री अमरनाथ यात्रा करने लगे। भारत की आम जनता भी इस गड़रिए वाली कहानी को सच मानती है। लेकिन सच्चाई कुछ ओर ही है। इस सच्चाई को हमेशा से लोगों से दूर रखा गया था।

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Amarnath Yatra का सच!

आपको बता दें की अमरनाथ यात्रा का उल्लेख पहले से ही हमारे धार्मिक ग्रंथों में मौजूद है। और ये उल्लेख है एक श्लोक के माध्यम से। ये श्लोक पांचवी शताब्दी में लिखे गए लिंग पुराण के 12वें अध्याय के 487 नंबर पेज पर लिखे 151 वें श्लोक में लिखा है।

मध्यमेश्वरमित्युक्तं त्रिषु लोकेषु विश्रुतम् ।
अमरेश्वरं च वरदं देवैः पूर्वं प्रतिष्ठितम् ॥

अर्थात अमरनाथ में विराजमान बाबा बर्फानी जिन्हें अमरेश्वर नाम से भी जाना जाता है।

इसी कड़ी में एक और श्लोक मौजूद है। 12 वीं शताब्दी मे कश्मीर के प्राचीन इतिहासकार कलहड़ द्वारा रचित ग्रन्थ राजतरंगिणी के 280 पेज पर 267वां श्लोक है।

दुग्धाव्धिधवलं तेन सरो दूरगिरी कृतम्।
अमरेश्वरयात्रायां जनरद्यापि दृश्यते ।।

अर्थात उसने दूर पर्वत पर दुग्ध सागर तुल्य धवल एक सर का निर्माण कराया।


Amarnath Yatra का ज़िक्र अकबर के शासनकाल में !

16वीं शताब्दी में अकबर के शासनकाल पर लिखी गई आइन ए अकबरी में अमरनाथ यात्रा और बर्फ के शिवलिंग का उल्लेख है। आइन ए अकबरी के दूसरे खण्ड के पेज नंबर 360 पर स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि एक गुफा में बर्फ की आकृति है जिसे अमरनाथ कहा जाता है। यह पवित्र स्थान है और पूर्णिमा के समय बूंद से धीमे-धीमे 15 दिनों में बर्फ की आकृति बनती है जिसे श्रद्धालु महादेव की आकृति मानते हैं और अमावस के बाद यह धीमे-धीमे पिघलने लगती है। अमरनाथ यात्रा और बाबा बर्फानी का जिक्र आइन ए अकबरी में बूटा मलिक वाली मनगढंत खोज से 300 वर्ष पहले हो रहा है।

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