
जामिया मिल्लिया इस्लामिया युनिवर्सिटी की कुलपति नज़मा अख्तर ने मीडिया को ब्यान देते हुए कहा है की, हमारी यूनिवर्सिटी में बाहरी लोग आकर रह रहें हैं. हमारे सिक्योरिटी गार्ड्स ने 750 से ज्यादा फ़र्ज़ी विद्यार्थियों की पहचान करके उन्हें गेट के बाहर किया हैं.
हमें उनके पास से फर्जी आईडी कार्ड्स भी बरामद हुए हैं, ऐसे में सवाल यह है की रातों रात इतने कार्ड्स बनाना तो मुमकिन नहीं था. ऐसे में यह पूरी की पूरी हिंसा सुनश्चित होने की तरफ इशारा कर रही हैं.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया युनिवर्सिटी की कुलपति नज़मा अख्तर ने तो इस पुरे घटनाकर्म में बाहरी लोगों का हाथ बता दिया हैं. उनका कहना है की इस पुरे घटनाकर्म में हमारे विद्यार्थियों का हाथ नहीं था.
नज़मा ने कहा की इन घुसपैठियों ने हिंसा करके हमारी यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी के छात्रों को बदनाम करने का काम किया है. पिछले 3 महीनों में हमने 750 से अधिक फ़र्ज़ी कार्ड्स के साथ विद्यार्थियों को यूनिवर्सिटी से बाहर किया हैं. इससे यह तो साफ़ हो जाता है यह लोग काफी समय से हिंसा भड़काने की साजिश रच रहे थे और ऐसे में उनको संशोधित नागरिकता क़ानून के रूप में एक कारण मिल गया.
Kumar Gyanesh, Additional DCP (South East) on Jamia Millia Islamia incident (Delhi): I saw it myself, some protesters were carrying wet blankets & putting them on tear gas shells to minimize their impact. It did not seem to be spontaneous but well planned. Investigation underway. pic.twitter.com/Q6FMV0c6I3
— ANI (@ANI) December 17, 2019
वहीं सवाल यह भी उठता है की अगर यूनिवर्सिटी को इतनी भारी मात्रा में फ़र्ज़ी आईडी कार्ड्स वाले विद्यार्थी मिल रहे थे तो उन्होंने पुलिस को इस बारे में जानकारी क्यों नहीं दी? इसी बात को लेकर साउथ ईस्ट दिल्ली के एडिशनल डीसीपी कुमार ज्ञानेश ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा की, “पुलिस ने जब आँसू गैस के गोले छोड़े, तब उससे बचने के लिए प्रदर्शनकारियों ने भींगे हुए कम्बलों का प्रयोग किया. ये उनके पास बड़ी तादाद में थे. इससे पता चलता है कि वो पूरी तैयारी के साथ आए थे. उन्होंने स्पष्ट कहा कि ये विरोध प्रदर्शन स्वाभाविक नहीं था, बल्कि जो कुछ भी हिंसक वारदातें हुईं उसकी पहले से योजना बनाई गई थी.”